राप्ती नदी पर बना श्रृंगारजोत घाट पुल का अप्रोच धंसने से बड़े वाहनों का आवागमन बाधित


उतरौला(बलरामपुर) राप्ती नदी पर बना श्रृंगारजोत घाट पुल का अप्रोच धंसने से बड़े वाहनों का आवागमन काफी दिनों से बंद है। दोपहिया व छोटे वाहन चालक अपनी जान जोखिम में डालकर पुल पार करने को मजबूर हैं।वहीं रविवार को पुल का अप्रोच का मिट्टी नदी में समाहित हो जाने से खतरा और बढ़ गया है। उतरौला से बिस्कोहर, जैतापुर, पचपेड़वा, इटवा, सिद्धार्थनगर व नेपाल जाने वाले बड़े वाहनों को 80 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। अप्रोच धंसने से सुपारी फल, सब्जी एवं अनाज का व्यापार प्रभावित हुआ है। लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड के कर्मचारी मार्ग बहाली के लिए युद्ध स्तर पर काम में लगे हैं।

राप्ती नदी पर श्रृंगारजोत घाट पुल का निर्माण वर्ष 2007 में कराया गया था। यह रास्ता गौरा चौराहा, सिद्धार्थनगर, गैसड़ी, पचपेड़वा व नेपाल की दूरी कम कर देता है। दिन भर में सैकड़ों ट्रकों का आवागमन इसी रास्ते से होता है। उतरौला से फल, सब्जियां, अनाज व फर्नीचर आदि सिद्धार्थनगर भेजे जाते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य प्रदेशों से आने वाले माल वाहक ट्रक भी श्रृंगारजोत घाट पुल पार करके सिद्धार्थनगर, गोरखपुर व नेपाल जाते हैं। मार्ग पर दिन रात बड़े वाहनों का आवागमन बना रहता है। गत वर्ष बाढ़ के दौरान पुल का अप्रोच धंस गया था। आवागमन बहाली में 15 दिन लगे थे। दुबारा लगभग तीन माह से ही अप्रोच धंसने की सूचना पर लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड द्वारा अप्रोच मार्ग को बचाने के प्रयास में लग गया। रविवार को सम्पर्क मार्ग और बुरी तरह से धंस गया। उसके मलबे नदी में गिर गए। आवागमन पूरी तरह ठप हो गया। लोग पुल पार करने से कतराने लगे।बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दिया गया ।

सिद्धार्थनगर व नेपाल का व्यापार हुआ प्रभावित : गुरुवार सुबह आवागमन बहाल करने की कोशिश शुरू हुई। पुल के एक छोर परआवागमन रोककर मरम्मत शुरू किया गया। ई-रिक्शा, बाइक व छोटी कार को निकलने की अनुमति दी गई।

ट्रक लेकर लौट रहे जितेन्द्र, महेश, संतोषी प्रसाद, परिविंदर, साकिर अली आदि ने बताया कि उन्हें अब सिद्धार्थनगर पहुंचने के लिए 80 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करना पड़ेगा। समय और डीजल दोनों की बर्बादी होगी। उतरौला के फल आढ़तिया रमजान, जाकिर व रिजवान अदि ने बताया कि डीसीएम से पुल के रास्ते सिद्धार्थनगर सामान पहुंचाना आसान होता था, लेकिन अब मुश्किल हो गया है। अतिरिक्त दूरी तय करने के कारण फल व सब्जियों की कीमत बढ़ानी पड़ेगी, जो सम्भव नहीं है।

रास्ता खुलने तक कारोबार ठप रखना पड़ेगा। ई-रिक्शा चालक अनोखी ने बताया कि यात्री रिक्शे में बैठकर पुल पार करने से कतराते हैं। सभी यात्री पैदल पुल पार करने के बाद ही रिक्शे में बैठना पसंद कर रहे हैं। ग्रामीण मझले, बड़कऊ, माता प्रसाद आदि ने बताया कि पुल को शीघ्र ही दुरुस्त कराना होगा।

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