औरैया // फरवरी के पहले सप्ताह से ही मौसम तेजी से बदल रहा इससे गेहूं एवं सरसों की फसल प्रभावित हो सकती है सबसे ज्यादा अधिकतम और न्यूनतम तापमान में बढ़ते अंतर के चलते नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है रबी की पैदावार पर इसका ज्यादा असर पड़ सकता है कृषि विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि यही हाल रहा तो गेहूं और सरसों की पैदावार 10 से 15 प्रतिशत उत्पादन में कमी आ सकती है मौसम के रुख ने किसानों की चिंता बढ़ा दी गई है कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. अनंत कुमार ने बताया कि पिछले वर्षो में दिसंबर और जनवरी के मौसम में बारिश हो जाया करती थी इससे मिट्टी में भरपूर नमी इकट्ठा हो जाती थी उससे फरवरी में मौसम का संतुलन बना रहता था वर्ष 2022 में फरवरी के पहले सप्ताह के अन्त में अच्छी बारिश हुई थी मगर इस बार ठंड के मौसम में नाममात्र के लिए ही बारिश हुई इससे खेतों में अभी से नमी का संकट खड़ा हो गया है बुधवार को न्यूनतम तापमान नौ डिग्री और अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया दो दिन पहले अधिकतम तापमान 21 और न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस था यानी अधिकतम तापमान में एक से दो डिग्री सेल्सियस की रोजाना वृद्धि हो रही है मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि 10 फरवरी के बाद अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस पहुंच सकता है न्यूनतम तापमान दस डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने के आसार है इस तरह दिन और रात के तापमान में 18 से 20 डिग्री के अंतर से गेहूं और सरसों के दाने बनने में बाधा खड़ी कर देगा क्यों कि गेहूं की फसल में भी बलियां बनने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है इस स्थिति में मिट्टी में भरपूर नमी और और अधिकतम तापमान 22 से 24 डिग्री से अधिक नहीं होना चाहिए ऐसा न होने से बालियों में बनने वाले दाने सूख जाएंगे और दाने भी सुडौल नहीं बन पाएंगे इसका सीधा असर पैदावार पर पड़ेगा कृषि वैज्ञानिक डॉ.अनंत कुमार ने बताया कि तापमान बढ़ने पर होने वाले नुकसान से बचाने का किसानों के पास कोई खास उपाय नहीं है इसके लिए सिर्फ वे खेतों में नमी बनाए रख सकते हैं ऐसे में प्रत्येक दस दिन में सिंचाई करते रहें लेकिन हवा चलने पर ज्यादा सिंचाई से नुकसान भी हो सकता है फसल गिरने का खतरा बरकरार रहता है। 

ब्यूरो रिपोर्ट :- जितेन्द्र कुमार 

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