राजकुमार गुप्ता
वृन्दावन।वंशीवट क्षेत्र स्थित श्रीनाभापीठ सुदामा कुटी में अति प्राचीन श्रीसीताराम मन्दिर के जीर्णोद्धार का भूमि पूजन वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य प्रख्यात संतों व विद्वानों के पावन सानिध्य में अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम से किया गया।
अग्रपीठाधीश्वर (रेवासाधाम) जगद्गुरु स्वामी राघवाचार्य महाराज व अयोध्या स्थित मणिराम छावनी आश्रम के श्रीमहंत कमलनयन दास महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम व मां जानकी श्रीरामानंद सम्प्रदाय की परम पूज्य हैं।इसीलिए इनके मन्दिर की स्थापना कई दशकों पूर्व सुदामा कुटी के संस्थापक साकेतवासी संत प्रवर सुदामा दास महाराज ने की थी।आज उस मन्दिर के पुनरोद्धार हेतु उसे भव्य स्वरूप दिए जाने के लिए जो भूमि पूजन किया जा रहा है,वो अति प्रशंसनीय है।
गोलोकधाम पीठाधीश्वर स्वामी गोपालशरण देवाचार्य महाराज व महामंडलेश्वर रामकृष्ण दास त्यागी महाराज (दिल्ली) ने कहा कि हमारे धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि नए मन्दिर के निर्माण से भी अधिक महत्व व पुण्यकार्य पुराने व जीर्ण मन्दिर के उद्धार का हुआ करता है।इसलिए सुदामा कुटी का श्रीरामानंदी वैष्णव सेवा ट्रस्ट अति प्रशंसा का पात्र है, जो उसने इस पावन कार्य को करने का बीड़ा उठाया है।
श्रीनाभापीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज व श्रीमहंत अमरदास महाराज ने कहा कि
श्रीसीताराम मन्दिर का निर्माण लगभग 3 वर्ष में पूर्ण करने का हम सभी का लक्ष्य है। यों तो ये मन्दिर गिने चुने दान दाताओं के आर्थिक सहयोग से बनाया जा सकता था।परंतु हमने असंख्य भक्तों व श्रद्धालुओं को इस मंदिर से भावनात्मक रूप से जोड़ने के लिए उनका आर्थिक सहयोग लेने निश्चय किया है।
भूमि पूजन में महामंडलेश्वर भैया दास महाराज, महामंडलेश्वर कांतादास महाराज, गोरीलाल कुंज के महंत किशोरदास देव जू महाराज, पीपाद्वाराचार्य जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज, श्रीमहंत लाड़ली शरण महाराज, श्रीमहंत वासुदेव दास महाराज, श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज, महंत रामकरण दास महाराज,महंत जगन्नाथदास शास्त्री,श्रीमहंत अवधेशदास महाराज,महंत बिहारीदास भक्तमाली, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, भागवताचार्य मृदुलकांत शास्त्री, डॉ. राधाकांत शर्मा, नंदकिशोर अग्रवाल, भरत शर्मा, मोहन शर्मा, भक्तिमती वृंदावनी शर्मा, पंडित रसिक शर्मा, राजकुमार शर्मा,निखिल शास्त्री, सौमित्र दास,अवनीश शास्त्री आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन संत रामसंजीवन दास शास्त्री ने किया।इस अवसर पर संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं समष्टि (झंरा) भंडारा भी हुआ।
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