वृन्दावन।वंशीवट क्षेत्र स्थित श्रीनाभापीठ सुदामा कुटी में श्रीरामानंदीय वैष्णव सेवा ट्रस्ट के द्वारा अनन्तश्री विभूषित श्रीरामानंदाचार्य महाराज का दस दिवसीय जयंती महामहोत्सव प्रख्यात संतों व विद्वानों की सन्निधि में ठाकुरश्री कुटिया बिहारी सरकार एवं जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य महाराज के चित्रपट के समक्ष वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य दीप प्रज्वलन के साथ प्रारम्भ हो गया है।
श्रीमज्जगद्गुरु द्वाराचार्य श्रीनाभापीठाधीश्वर स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज एवं महंत अमरदास महाराज ने कहा कि जगद्गुरु स्वामी श्रीरामानंदाचार्य महाराज भक्ति अन्नदोलन के प्रणेता,सनातन धर्म के रक्षक एवं श्रीरामानंदीय सम्प्रदाय के प्रवर्तक थे। "अगस्त्य संहिता" में उन्हें भगवान श्रीराम का अवतार माना गया है।पृथ्वी पर उनका अवतरण यवनों के अत्याचारों से त्रस्त जनता की रक्षा हेतु हुआ था।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि जगद्गुरु स्वामी श्रीरामानंदाचार्य महाराज
परम् तपस्वी, युगांतकारी, विलक्षण,तेजस्वी, प्रतिभावान, दार्शनिक एवं समन्वयवादी संत थे।उन्हें अपनी 5 वर्ष की आयु में ही "श्रीमद् वाल्मीक रामायण" एवं "श्रीमद्भगवद्गीता" आदि ग्रंथ कंठस्थ हो गए थे।वे बहुत ही अल्प समय में विभिन्न शास्त्रों व पुराणों के ज्ञान में पारंगत हो गए थे।
महंत जगन्नाथदास शास्त्री व संत रामसंजीवन दास शास्त्री ने कहा कि जगदगुरू स्वामी श्रीरामानंदाचार्य महाराज ने अपने स्वप्रवर्तित रामानंद सम्प्रदाय में इष्ट,मंत्र पूजा पद्धति एवं तिलक के अलावा एक और तत्व यह जोड़ा कि उन्होंने रामभक्ति के भवन का द्वारा प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति के लिए खोल दिया।उन्होंने विभिन्न मत-मतांतरों एवं पंथ-संप्रदायों में फैली हुई वैमनस्यता को दूर करने के लिए समस्त हिन्दू समाज को एक सूत्र में पिरोया।
इससे पूर्व संतों द्वारा श्रीहरिनाम संकीर्तन, वैदिक स्वास्ति वाचन, श्रीमद्भागवत मूलपाठ एवं श्रीरामचरितमानस का नवांन्ह गायन पाठ किया गया।मध्यान्ह 2 बजे से सायं 5 बजे तक मथुरा की प्रख्यात श्रीसिद्ध विनायक रामलीला संस्थान द्वारा श्रीरामलीला का अत्यंत मनोहारी मंचन किया गया।तदोपरांत रात्रि को रासाचार्य स्वामी श्रीचंद्र शर्मा के निर्देशन में भगवान श्रीकृष्ण की रासलीलाओं की चित्ताकर्षक व मनमोहक प्रस्तुति देकर सभी को भाव-विभोर कर दिया।
इस अवसर पर महंत राघवदास महाराज, युवा साहित्यकार. डॉ. राधाकांत शर्मा, भरतलाल शर्मा, नंदकिशोर अग्रवाल, मोहन शर्मा, राजकुमार शर्मा, निखिल शास्त्री,अवनीश मिश्रा, लक्ष्मीकांत एवं सौमित्र दास आदि की उपस्थिति विशेष रही।
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