सदा बसंत रहत वृन्दावन...
राजकुमार गुप्ता
वृन्दावन शोध संस्थान में आयोजित बसंत पंचमी एवं गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर विविध कार्यक्रम आयोजित किये गये। इस दौरान ध्वजारोहण, ब्रज और बसंत के सांस्कृतिक समन्वय को दर्शाने वाले संदर्भों पर एकाग्र पांच दिवसीय प्रदर्शनी का शुभारंभ, सरस्वती पूजन एवं विचार गोष्ठी का आयोजन गुरूवार को हुआ। आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी जी ने कहा रसराज की सेवा में ऋतुराज बसंत सदैव विद्यमान रहते हैं। उन्होंने कहा ब्रजभाषा साहित्य एवं संस्कृति में बसंत का महत्व विविधताओं के साथ दिखता है। सद्गुरू श्रीरीतेश्वर जी महाराज ने कहा ब्रज और बसंत का अद्भुत समन्वय को दर्शाने वाले संदर्भों का प्रदर्शनी के माध्यम से सुंदर प्रस्तुतिकरण संस्थान द्वारा किया गया है। राधाबल्लभ संप्रदायाचार्य श्रीहित राधेशलाल गोस्वामी जी एवं गीता मनीषी स्वामी श्रीज्ञानानंद जी महाराज ने ब्रज बसंत पर विचार व्यक्त करते हुए कहा ब्रज और बसन्त एक-दूसरे के पूरक हैं। ब्रज में बसन्त सदैव विराजमान रहता है। वृंदावन में षड-ऋतुओं का आनंद नित्य उपस्थित रहता है। इससे पूर्व अतिथियों ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। संस्थान के उप-निदेशक डाॅ0 एस0 पी0 सिंह ने अतिथियों का स्वागत पटुका उढ़ाकर किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ0 राजेश शर्मा द्वारा किया गया। इस दौरान संस्थान कर्मियों द्वारा सरस्वती पूजन भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान डाॅ0 अच्युतलाल भट्ट, डाॅ0 मनोजमोहन शास्त्री, श्रीहित आनंदलाल गोस्वामी, श्रीहित गोविन्दलाल गोस्वामी, श्रीहित सुकृतलाल गोस्वामी, आर.एन.द्विवेदी, योगेश शर्मा, शासी परिषद सदस्य पं.उदयन शर्मा, डाॅ0 चंद्रप्रकाश शर्मा, बालकृष्ण शर्मा, एस.के. शर्मा, डाॅ0 रामसेवक शर्मा, अशोक कुमार शर्मा, हर्षित, दीपेश कुमार, गोलू दुबे, दिवाकर त्रिपाठी, वासुदेवशरण, राजेंद्र सिंगला, राजेंद्र प्रसाद दुबे, शोभा गुप्ता, शुभम खन्ना, प्रभुदयाल, पं.सुरेशचंद्र शर्मा, महेश भारद्वाज आदि सम्मानित जन सहित संस्थान के शासी परिषद सदस्य, अधिकारी गण एवं संस्थानकर्मी उपस्थित रहे।
- बसंत के संदर्भों को देख लोग अभिभूत
कार्यक्रम अंतर्गत बसंत से जुडे़ संदर्भों के विविधतापरक प्रस्तुतिकरण को देख लोग अभिभूत थे। विभिन्न वैष्णव संप्रदायों में सृजित बसंत विषयक साहित्य की सतत शृंखला तथा विषय से जुड़ी विविधतापरक पांडुलिपियों को देख लोग आनंदित हुए। ब्रज-वृंदावन और बसंत से जुड़ी विविधताओं का प्रस्तुतिकरण देखते ही बन रहा था।
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