वृन्दावन।श्याम वाटिका क्षेत्र स्थित श्री अलिनागरि कुंज में चल रहे निकुंजलीला प्रविष्ट सन्तप्रवर बालगोविंद दास महाराज के 17 वें 11 दिवसीय पुण्यतिथि समाराधन महोत्सव के अंतर्गत महाराजश्री द्वारा रचित वाणीयों का गायन प्रख्यात भजन गायक ब्रज रस रसिक पंडित चंदन महाराज द्वारा संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य किया गया। तत्पश्चात संपन्न हुई संत विद्वत संगोष्ठी में शरणागति आश्रम के सन्त प्रवर बिहारीदास भक्तमाली महाराज व महोत्सव के संयोजक आचार्य पं. रामनिवास शुक्ला ने कहा कि सन्तप्रवर बालगोविंद दास महाराज श्रीमद्भागवत के प्रकाण्ड विद्वान थे।उन्होंने इस ग्रन्थ की शिक्षा कलाधारी बगीची स्थित अपने निवास पर रहते हुए हजारों विद्यार्थियों को निःशुल्क प्रदान की। वह भागवत जी की कथा भी बगैर दक्षिणा के कहा करते थे। संयोग से यदि उनके पास धन आ भी जाये तो वह उसे जरूरतमंद व्यक्तियों में बांट दिया करते थे।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व पंडित विद्यानिधि शुक्ला ने कहा कि संतप्रवर बालगोविंद दास जी महाराज का समूचा जीवन ब्रज-वृन्दावन, सन्त-सेवा , विप्र सेवा, एवं गौसेवा आदि के लिए समर्पित था।उनके द्वारा चलाये गए विभिन्न सेवा प्रकल्प आज भी श्याम-वाटिका स्थित अलिनागरि कुंज से वृहद स्तर पर संचालित हो रहे हैं।
रासाचार्य स्वामी कुंजबिहारी शर्मा व आचार्य नेत्रपाल शास्त्री ने कहा कि सन्त बालगोविंद दास महाराज हिन्दी व संस्कृत साहित्य एवं व्याकरण के जाने-माने विद्वान थे। उनके द्वारा लिखी गयीं आरतियाँ विभिन्न देवालयों में आज भी अत्यंत धूम के साथ गायी जाती हैं। विडम्बना है कि अध्यात्म जगत ने उनकी स्मृति रक्षा के लिए अभी तक कुछ भी नहीं किया है। जब कि वह एक ऐसी विभूति थे जिसने असँख्य व्यक्तियों को भगवत भक्ति की प्रेरणा व ऊर्जा प्रदान की।
महोत्सव में पूर्व पालिकाध्यक्ष पंडित मुकेश गौतम,भजन गायिका विजय लक्ष्मी, राजेश मिश्रा , युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, आचार्य ईश्वरचंद्र रावत आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।
राजकुमार गुप्ता
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