मथुरा।।पिछले दिनों हमारी नेपाल की सप्त दिवसीय यात्रा अत्यंत रोचक, ज्ञानवर्धक व आनंददायक रही।हम सपत्नीक नई दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट से इंडिगो की फ्लाइट के द्वारा लगभग 2 घंटे में काठमाण्डू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे।वहां श्रीपशुपतिनाथ मंदिर के निकट तीलगंगा क्षेत्र के "होटल आनंद पशुपतिनाथ" में हम लोग ठहरे।यहां रहने व भोजन आदि की अति सुन्दर व्यवस्था रही।यह होटल भारत-नेपाल मैत्रीय संघ के द्वारा संचालित है।इस होटल का उद्घाटन भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया था।
नेपाल, चीन और भारत के दो बड़े देशों से घिरा हुआ है।इसके तीन ओर भारत और एक ओर चीन है। एशिया का सबसे ऊंचा पर्वत "माउंट एवरेस्ट" नेपाल में ही है।नेपाल कभी भी किसी देश का गुलाम नहीं रहा है।इसीलिए यहां स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता है।यहां के लोग अत्यंत सहज,सरल व मिलनसार हैं।यह अन्य देशों से आने वाले पर्यटकों का अत्यंत सहयोग व सम्मान करते हैं।माता सीता की जन्मभूमि "जनकपुर" व भगवान बुद्ध की जन्मभूमि "लुंबिनी" नेपाल में ही है।यहां पर हिन्दुओं की जनसंख्या 82% है।यहां पर रहकर बड़े-बड़े ऋषियों-मुनियों ने तपस्या की है।नेपाल की राजधानी काठमाण्डू अति प्राचीन, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व पुरातात्विक नगर है।काठमाण्डू एक कटोरे की तरह है।इसके चारों ओर पहाड़ ही पहाड़ हैं।जिनके बीच में काठमाण्डू बसा है।जो कि ऊंचा-नीचा व घुमावदार है।यहां यातायात का प्रमुख साधन सिटी बसें व टैक्सियां हैं। बताया जाता है कि यहां पहले एक तालाब था।जिसका पानी निकालकर यह नगर बसाया गया।इस नगर के चारों कोनों में चार गणेश मंदिर हैं- सूर्य विनायक,चंद्र विनायक,कमल विनायक, दूध विनायक।
इसके अलावा इस नगर के चारों कोनों में चार वाराही मन्दिर हैं- वज्र वाराही,धुम्र वाराही,निल वाराही,श्वेत वाराही।
साथ ही इसके चारों कोनों में नारायण के चार मन्दिर हैं- चांगु नारायण, विशंख नारायण, इचंगु नारायण, शेष नारायण।काठमांडू को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है।यहां कदम-कदम पर मंदिर ही मन्दिर दिखाई देते हैं।इस नगर का पुरोवाक्य है- अतिथि देवो भव:।
नेपाल की कुल जनसंख्या लगभग 3 करोड़ है।इसके 7 राज्य, 77 जिले हैं। काठमांडू वागमती राज्य में आता है।इसकी जनसंख्या लगभग 50 लाख है।
काठमांडू की पहचान श्रीपशुपतिनाथ मंदिर से ही है।यह मंदिर हिन्दू धर्मावलंबियों का प्रमुख केंद्र है।यहां स्थापित ज्योतिर्लिंग के चार मुख हैं।जो कि चार धामों के प्रतीक हैं।साथ ही मंदिर के चार प्रवेश द्वार हैं।मंदिर की भव्यता बढ़ाने के लिए सोने और चांदी का अद्भुत कार्य किया गया है।इस मंदिर के दर्शन के लिए समूचे विश्व से प्रतिदिन असंख्य व्यक्ति आते हैं।यहां स्थापित ज्योतिर्लिंग पर रुद्राक्ष की माला चढ़ाने का विशेष महत्व है।जो कि प्रसाद स्वरूप श्रृद्धालुओं को दे दी जाती हैं।।साथ ही दो मंजिला यह मंदिर बहुत बड़े क्षेत्रफल में स्थापित है।जिसमें कई बाज़ार भी हैं।जहां पर कि विभिन्न मुखी रूद्राक्ष व गंडक नदी से प्राप्त तरह-तरह के शालिग्राम, शंख, मूंगा आदि भी मिलते हैं।इसके अलावा पीतल से बने देवी-देवताओं की मूर्तियां व पूजा की सामग्री उचित मूल्य पर प्राप्त हो जाती है।समूचे नेपाल में भारतीय मुद्रा का भी चलन है।भारत के 100 रुपए वहां के 164 रुपए के बराबर मान्य होते हैं।
मन्दिर के दक्षिणी द्वार पर 525 शिवलिंग एक साथ स्थापित हैं।जिनकी परिक्रमा करने से सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।मंदिर के निकट वागमती नदी बहती हैं।जिनकी अत्यंत दिव्य व भव्य आरती प्रतिदिन सायं काल होती है।
काठमांडू में हमारे अति घनिष्ठ मित्र श्री विश्वलाल श्रेष्ठ का कुलेश्वर क्षेत्र में "विनायक गृह" नामक आवास है। जो कि पूर्व में सेना व पुलिस में उच्च पदों पर रहे हैं। वर्तमान में वे वहां के सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट भी हैं।इनकी विस्तृत चर्चा में अपनी अगली पोस्ट में करूंगा।इनके नेतृत्व में मैंने काठमांडू के अनेक दर्शनीय स्थलों का दर्शन किया।साथ ही वहां के अनेक बाज़ारों, कार्यालयों व विद्यालयों से भी रूबरू हुआ।उनके साथ हमें श्रीपशुपतिनाथ मंदिर के अलावा बूढ़ा नीलकंठ,बालाजू वाटर गार्डन,स्वयंभू मंदिर,   तलेजू मंदिर,काल भैरव मंदिर,हनुमान ढोका,आकाश भैरव,महाकाल भैरव,दक्षिण काली,पाटन दरबार स्कायर, हैरिटेज साइट ऑफ काठमांडू,नगरकोट,भक्तपुर,चांगु नारायण,डोलेश्वर महादेव,मुक्तिनाथ,जनकपुर,विराट नगर, वासुकी नाथ,उन्मत भैरव मंदिर,सुप्रीम कोर्ट,राजा का किला आदि स्थानों के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।जो कि सदैव स्मरणीय रहेगा।

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