राजकुमार गुप्ता
वृन्दावन।राधा निवास-गोविंद कुंड क्षेत्र स्थित श्रीगोपाल निकुंज सेवा संस्थान में ठाकुर श्रीगोपालजी महाराज का पाटोत्सव एवं निकुंजवासी संत शिरोमणि ब्रजकिशोरी शरण (माताजी) का अष्ट दिवसीय 25 वां वार्षिक निकुंज प्रवेशोत्सव (रजत महोत्सव) अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ।महोत्सव के अंतर्गत ब्रज चौरासी कोस यात्रा (वाहनों द्वारा), दैनिक रासलीला, संत-विद्वत संगोष्ठी, शास्त्रीय संगीत सभा एवं भजन संध्या आदि के कार्यक्रम सम्पन्न हुए।इसके अलावा संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारा भी हुआ।
संत-विद्वत संगोष्ठी में की अध्यक्षता करते हुए राजाराम मिश्र (गुरुजी) एवं पूर्व प्राचार्य डॉ. रामसुदर्शन मिश्र ने कहा कि संत प्रवर ब्रजकिशोरी शरण (माताजी) एक ऐसी संत थीं,जो संत सेवा, गौ सेवा एवं निर्धन-निराश्रितों की सेवा को ही नारायण सेवा माना करती थीं।उनके द्वारा स्थापित किए गए सेवा प्रकल्प श्री गोपाल निकुंज सेवा संस्थान में पूर्ण निष्ठा एवं समर्पण के साथ आज भी चलाए जा रहे हैं।
गोपाल निकुंज सेवा संस्थान के संस्थापकाध्यक्ष आचार्य युगल किशोर कटारे व भागवताचार्य चेतन्य किशोर कटारे ने कहा कि हमारी सदगुरुदेव ब्रजकिशोरी शरण (माताजी) परम् भजनानंदी एवं दिव्य तपोमूर्ति थीं।उन्होंने श्रीधाम वृन्दावन में साधनामय जीवन जीते हुए योग व तप की शक्ति से अनेकों व्यक्तियों की पीड़ा दूर की।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ गोपाल चतुर्वेदी व पंडित बिहारीलाल शास्त्री ने कहा कि ब्रजकिशोरी शरण (माताजी) ने श्रीधाम वृन्दावन में रहते हुए श्रीकृष्ण भक्ति की लहर को समूचे विश्व में प्रवाहित कर के अनेकों व्यक्तियों का कल्याण किया।
ब्रजभूमि कल्याण परिषद के अध्यक्ष पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ व पंडित रामगोपाल शास्त्री ने कहा कि ब्रजकिशोरी शरण (माताजी) अनेकानेक सद्गुणों की खान थी।यदि हम लोग उनके किसी एक गुण को भी अपने जीवन में धारण कर लें तो हमारा कल्याण हो सकता है।
तत्पश्चात आयोजित शास्त्रीय संगीत सभा में शास्त्रीय गायक डॉ. आभा चौरसिया व डॉ. विभा चौरसिया (इंदौर) ने महावाणी के पदों का सुमधुर गायन कर सभी को भाव-विभोर कर दिया।इसके अलावा संगीताचार्य पंडित देवकीनंदन शर्मा व स्वामी मनमोहन शर्मा आदि के ब्रज होली व बसंत सम्बन्धी रसियायों व भजनों को संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य श्रवण कर सभी श्रोता अभिभूत हुए।
इस अवसर पर हरिमोहन रामायणी,पार्षद वैभव अग्रवाल, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा, ब्रजबिहारी शर्मा, ललित किशोर कटारे, विनीत कटारे, चित्रांशु कटारे आदि की उपस्थिति विशेष रही।संचालन पंडित बिहारीलाल शास्त्री ने किया।
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