मथुरा।।
वृंदावन। भगवान श्री कृष्ण प्रेम के भूखे हैं। भगवान को सत्य अति प्रिय है। भगवान को मन से याद करो तो जरूर आते हैं। मनुष्य को ठाकुर जी को कभी भूलना नहीं चाहिए हर क्षण सुमिरन करते रहना चाहिए। उक्त विचार सुनरख मार्ग स्थित हरे कृष्ण ओरचिड में हो रही भागवत में व्यासपीठ से स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने कहे। गुरुवार को श्रीमद्भागवत कथा में महारास लीला श्री कृष्ण गमन उद्धव चरित्र व रुक्मणी विवाह का वर्णन किया गया। रुकमणी विवाह में ठाकुर जी की आकर्षक झांकी सजाई गई। जिसकी सभी भक्तों ने पूजा-अर्चना की। रुकमणी विवाह में भक्तों ने उपहार लुटाए और कन्यादान किया। पूरा सभागार श्री कृष्ण भगवान और रुक्मणी के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। महिला व पुरुष श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया। श्री सरस्वती महाराज ने कहा कि रुकमणी भगवान श्री कृष्ण को प्रिय थी। प्रेम से बढ़कर जीवन में कुछ नहीं है। वृंदावन में श्रीमद् भागवत कथा सुनना बहुत ही भाग्यशालियों को मिलता है। वृंदावन धाम की महिमा अपार है। ब्रज के कण-कण में ठाकुर जी का वास है। इस दौरान मुक्तानंद पुरी महाराज, महेशानंद सरस्वती, उमा शक्ति पीठ के प्रवक्ता आर एन द्विवेदी राजू भैया, विष्णु बंसल, आयोजक शंकर मंजू लाल ने आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया।
राजकुमार गुप्ता
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know