बरईपार। उपनयन संस्कार से बालक के मन मे अध्यात्म  चेतना जागृत होती है- आचार्य मार्कण्डेय प्रसाद 

चक घसीटा नाथ मंदिर बरईपार में हुआ सामूहिक उपनयन संस्कार 

मछलीशहर, जौनपुर। मछलीशहर तहसील के बरईपार बाजार चक घसीटा नाथ महादेव मंदिर पर सामुहिक उपनयन संस्कार का आयोजन किया गया,जिसमे आधा दर्जन बच्चों का उपनयन संस्कार हुआ।

हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारों का विधान है। उनमें एक उपनयन संस्कार है। इस संस्कार से बालक के मन में अध्यात्म चेतना जागृत होती है। ऐसा कहा जाता है कि जब बालक ज्ञान अर्जन योग्य हो जाता है, तब उपनयन संस्कार किया जाता है। खासकर ब्राह्मणों में इस संस्कार का अति विशेष महत्व है। कालांतर से इस संस्कार की विधि-पूर्वक निर्वाह किया जा रहा है। अनुराग तिवारी,प्रिंश पाठक, शौरभ उपाधयाय, शिवम शुक्ल,निहाल मिश्र, शिव रंजन तिवारी का उपनयन संस्कार हुआ। आचार्य मार्कण्डेय प्रसाद पांडेय ने बताया कि उपनयन संस्कार का कालांतर से ही विशेष महत्व है। हालांकि, तत्कालीन समय में वर्ण व्यवस्था उपनयन संस्कार से निर्धारित किया जाता था। ऐसा कहा जाता है कि जब बालक ज्ञान हासिल करने योग्य हो जाए तो उसका सर्वप्रथम उपनयन संस्कार कराना चाहिए। इसके बाद उसे ज्ञान हासिल करने हेतु पाठशाला भेजना चाहिए। प्राचीन समय में जिस बालक का उपनयन संस्कार नहीं होता था उसे मूढ़ श्रेणी में रखा जाता था। 
उपनयन संस्कार जाति समाज में वर्ण व्यवस्था व्याप्त है। इस व्यवस्था के अंतर्गत प्रथम स्थान पर ब्राह्मण हैं, दूसरे पर क्षत्रिय है। जबकि तीसरे पर वैश्य और चौथे पर शूद्र हैं। इस क्रम में ब्राह्मण बालक का आठवें साल में उपनयन संस्कार होता है, क्षत्रिय बालक का 11 वें साल में होता है। जबकि वैश्य बालक का 15 वें साल में उपनयन संस्कार होता है। उपनयन संस्कार के आचार्य ज्ञान चन्द्र दुबे और बालकृष्ण पांडेय रहे। संचालन  माध्यमिक संस्कृत शिक्षक कल्याण समिति के जिलाध्यक्ष व प्रधानाचार्य गिरिजेश मिश्रा ने किया। इस अवसर पर सत्येंद्र पांडेय राहुल, सुशील पांडेय,बृजेश मिश्रा, जय प्रकाश मिश्रा, रवि मिश्रा, शिव शंकर तिवारी व अन्य मौजूद रहे।

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