मुख्यमंत्री ने गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के
संस्थापक समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम को सम्बोधित किया
सन् 1932 में महंत दिग्विजय नाथ जी महाराज ने पूर्वी उ0प्र0 में शैक्षिक
पुनर्जागरण की दृष्टि से महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की: मुख्यमंत्री
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद आज 4 दर्जन से
अधिक शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाओं का संचालन कर रही
राष्ट्र भक्त नागरिक ही अपने राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये कार्य कर सकते
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद अपनी सभी शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाओं
की मदद से राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर रही
देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष पूरा करते हुए
दुनिया के सामने अनेक प्रतिमान स्थापित कर रहा
प्रधानमंत्री जी ने दुनिया के 20 बड़े देशों के समूह जी-20 के नेतृत्व का
दायित्व सम्भाला, यह वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाता
प्रधानमंत्री जी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को
घोषित करके देश के सामने एक बड़ा लक्ष्य रखा
शिक्षा सामाजिक, संास्कृतिक, चेतना और राष्ट्र निर्माण का सबसे
बड़ा माध्यम: अवकाश प्राप्त एयर चीफ मार्शल श्री आर0के0एस भदौरिया
युग पुरुष महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की सूझ-बूझ और समाज व देश के
प्रति उनकी लगन का फल है कि आज से 90 वर्ष पहले और आजादी से
15 साल पूर्व, उन्होंने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की
लखनऊ: 04 दिसम्बर, 2022: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज जनपद गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि सन् 1932 में महंत दिग्विजय नाथ जी महाराज ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में शैक्षिक पुनर्जागरण की दृष्टि से महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। यह काल खण्ड वह था जब देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, उस समय बहुत सारे लोगों के मन में यह था कि पता नही यह देश आजाद होगा या नही लेकिन एक सन्यासी, योगी कभी भी नकारात्मक भाव के साथ नही रहता। वह हमेशा सकारात्मक भाव से चलता है कि मेरा कार्य पुरुषार्थ करना है, कर्म करना है, परिणाम की चिन्ता नही करनी है। इस भाव से किया गया कोई भी प्रयास या कार्य निश्चित ही सफल होता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद आज 4 दर्जन से अधिक शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाओं का संचालन करते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश में शैक्षिक पुनर्जागरण का एक केन्द्र बिन्दु बना हुआ है। महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने शिक्षा परिषद की स्थापना मध्य काल में विदेशी आक्रान्ताओं के खिलाफ भारत की स्वाधीनता का बिगुल बजाने वाले शौर्य और पराक्रम के प्रतीक महाराणा प्रताप के नाम पर की थी, क्योकि देश को जिस लड़ाई को लड़ना था उसका उद्देश्य भी स्पष्ट हो। उद्देश्य की प्राप्ति का एक माध्यम भी होना चाहिए, माध्यम था महाराणा प्रताप का शौर्य और पराक्रम और लक्ष्य था कि देश स्वतंत्र हो। और स्वतंत्र भारत में राष्ट्र भक्त नागरिको की एक लम्बी फौज खड़ी हो। क्योंकि राष्ट्र भक्त नागरिक ही अपने राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये कार्य कर सकते हैं। उस अभियान को आगे बढ़ाते हुए जो कार्यक्रम प्रारम्भ हुए उसी का परिणाम है कि महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद अपनी सभी शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाओं की मदद से राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सर्वांगीण विकास का मतलब केवल सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, डिग्री प्राप्त करना नहीं है, बल्कि उन सभी गतिविधियों का हिस्सा बनना भी है, जो भविष्य की चुनौतियों के लिए हमंे नई प्रेरणा प्रदान कर सकें। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद 04 दिसम्बर से 10 दिसम्बर तक संस्थापक समारोह का यह कार्यक्रम आयोजित करती है। विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं इसमें आयोजित की जाती हैं। विभिन्न कार्यक्रम होते हैं। इसकी शुरूआत अनुशासन से की जाती है। अनुशासन नागरिक के जीवन में नहीं है, तो कभी अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश एक सकारात्मक दिशा में बढ़ चुका है, अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। यह देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष पूरा करते हुए दुनिया के सामने अनेक प्रतिमान स्थापित कर रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब पहली दिसम्बर को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दुनिया के 20 बड़े देशों के समूह जी-20 के नेतृत्व का दायित्व सम्भाला, यह वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाता है। भारत नेतृत्वकर्ता के रूप में अब दुनिया का मार्गदर्शन भी करेगा। किसी भी राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिये सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा होती है। प्रधानमंत्री जी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को घोषित करके देश के सामने एक बड़ा लक्ष्य रखा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति हम सबके सर्वांगीण विकास के लिये अनेक पथ को प्रशस्त करती है। उस मार्ग का अनुसरण करते हुए, उससे जुड़े प्रत्येक कार्यक्रम का हिस्सा बनते हुए, समाज व राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्वों के निर्वहन के लिये स्वयं को तैयार करंे। व्यक्ति केवल अपने तक सीमित न रहे, बल्कि समाज और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों को भी देखे।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अवकाश प्राप्त एयर चीफ मार्शल श्री आर0के0एस भदौरिया ने कहा कि शिक्षा सामाजिक, संास्कृतिक, चेतना और राष्ट्र निर्माण का सबसे बड़ा माध्यम है। गोरखपुर की प्रगति और बदलाव सबसे बड़ा स्तम्भ, शिक्षा है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश का सौभाग्य है। युग पुरुष महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की सूझ-बूझ और समाज व देश के प्रति उनकी लगन का फल है कि आज से 90 वर्ष पहले और आजादी से 15 साल पूर्व, उन्होंने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। इसी जगह पहले महाराणा प्रताप इण्टर कॉलेज बना।
एयर चीफ मार्शल श्री आर0के0एस भदौरिया ने कहा कि आज परिषद की लगभग 50 से अधिक शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थाएं हैं, जो 30 हजार से अधिक बच्चों को योग्य बना रही हैं। यहां न केवल ज्ञान-विज्ञान की शिक्षा दी जा रही है, बल्कि सम्पूर्ण एवं समग्र व्यक्तित्व विकास की ओर जोर दिया जा रहा है। यह न केवल आपके ज्ञान का विस्तार करेगा, बल्कि आपको योग्य बनाएगा। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आज भारत हर क्षेत्र में प्रगति और उन्नति की ऊँचाइयों को छू रहा है। पूरे विश्व में भारत एक नई पहचान के साथ महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। देश के हर क्षेत्र में नई उर्जा के साथ तेजी से काम हो रहा है। प्रत्येक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए बहुत मजबूत कदम उठाये जा रहे हैं। इसका परिणाम हर क्षेत्र में दिख रहा है। इस अवसर पर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा विभिन्न विषयों पर शोभा यात्रा भी निकाली गयी, जो शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए एम0पी0 इण्टर कॉलेज पर आकर समाप्त हुई।
कार्यक्रम में विभिन्न जनप्रतिनिधिगण एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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