*सीमावर्ती क्षेत्र में नही जलाये गये अलाव , भीषण ठंड से ठिठुरते लोग
बहराइच (ब्यूरो) भारत नेपाल सीमावर्ती क्षेत्रों में हाड़ कंपकपाने वाली ठंडक का सिलसिला तेजी से शुरू हो गया है। रुपईडीहा कस्बे के सीमावर्ती क्षेत्रों में शासन प्रशासन निकाय चुनावों की व्यवस्था में तेजी से लगा हुआ है। संबंधित अधिकारी इस क्षेत्र में न ही अलाव जलवाने की कोई व्यवस्था कर रहे हैं और न ही रैन बसेरा बनवा रहे हैं। भारत नेपाल सीमा से सटे कस्बा रुपईडीहा व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में आज सुबह से ही घना कोहरा छाया रहा। जिससे लोग घरों में दुबके रहे। कस्बा व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में रात को होने वाली पेट्रोलिंग में सिपाही व चौकीदार भी इस ठंड से बचने के लिए अलाव जलता हुआ ढूंढते रहते हैं। बताया जाता है कि रोज सुबह 7 बजे से ही रामलीला चौराहा , चकियारोड चौराहा , टीन मंडी व सेंट्रल बैंक चौराहों पर आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के मजदूर आ जाते हैं व ठंड से कांपते रहते हैं। यही नहीं भारतीय क्षेत्र के विभिन्न महानगरों से रात में 2 बजे से ही रोडवेज बसों का रुपईडीहा कस्बे में आना शुरू हो जाता है। ऐसे में भारत व नेपाल के यात्री हाड़ कंपकपाने वाली ठंड से बेहाल रहते हैं। ये रोडवेज की बसें रात में 2 बजे से सुबह 11 बजे तक आती रहती हैं। इनमें दिल्ली, बरेली, मुरादाबाद, सीतापुर, लखीमपुर, वाराणसी, हरिद्वार, लखनऊ, कानपुर, जयपुर, शिमला व हिमाचल प्रदेश आदि स्थानों से नेपाली यात्री बसों से आते रहते हैं। भारत नेपाल बार्डर सुबह लगभग 6 बजे तक खुलने के कारण नेपाल जाने वाले नेपाली यात्री सेंट्रल बैंक चौराहे पर बार्डर खुलने के इंतजार में बैठे ठंड से कांपते देखे जाते हैं। राम लीला चौराहा, चकिया रोड चौराहा, सेंट्रल बैंक चौराहे पर अलाव जलाने की व्यवस्था प्रशासन को करना चाहिए। जिससे नेपाली यात्रियों व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से सुबह आने वाले मजदूरों को हाड़ कंपकपाने वाली ठंड से राहत मिल सके। इस संबंध में रुपईडीहा कस्बा वासियों ने शासन प्रशासन से इन क्षेत्रों में अलाव जलाने की मांग की है।
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