मुख्यमंत्री ने गीता प्रेस, गोरखपुर में आयोजित गीता जयन्ती समारोह को सम्बोधित किया
मानवीय जीवन की व्यवस्था में गीता वह पावन ग्रन्थ, जिससे क्षेत्र, भाषा, जाति,
मत, मजहब से परे सभी लोगों को निष्काम कर्म की प्रेरणा मिलती: मुख्यमंत्री
गीता युद्धक्षेत्र में भगवान के श्रीमुख से रचित वह ग्रन्थ है, जो देश, काल,
परिस्थितियों से ऊपर उठकर सम्पूर्ण चराचर जगत के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता
गीता से हमें यह प्रेरणा प्राप्त होती है कि सभी समस्याओं
का समाधान निष्काम कर्म करने से ही सम्भव
भगवान ने गीता की रचना समूची मानवता को
कर्तव्य पथ पर चलने की प्रेरणा देने के लिए की
निष्काम कर्तव्य के प्रति आग्रही होना वास्तव में भगवान का कार्य करने के समान
विश्व भर में रहने वाले सनातन धर्मावलम्बियों के लिए गीता, गीता प्रेस और
यहां से प्रकाशित होने वाला धार्मिक साहित्य आस्था का विराट केन्द्र
गीता प्रेस प्रबन्धन से अपने शताब्दी वर्ष समारोह में
100 करोड़ धार्मिक साहित्य छापने का लक्ष्य रखने का आह्वान
मुख्यमंत्री द्वारा चित्रमय सुण्दरकाण्ड का विमोचन
लखनऊ: 04 दिसम्बर, 2022
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज गीता प्रेस, गोरखपुर में आयोजित गीता जयन्ती समारोह को सम्बोधित करते हुये कहा कि मानवीय जीवन की व्यवस्था में गीता वह पावन ग्रन्थ है, जिससे क्षेत्र, भाषा, जाति, मत, मजहब से परे सभी लोगों को निष्काम कर्म की प्रेरणा मिलती है। दुनिया में अनेक ग्रन्थ रचे गए लेकिन गीता युद्धक्षेत्र में भगवान के श्रीमुख से रचित वह ग्रन्थ है, जो देश, काल, परिस्थितियों से ऊपर उठकर सम्पूर्ण चराचर जगत के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। यह आने वाली पीढ़ी के लिए अमर वाक्य बनकर प्रेरणा देने का सार्वभौमिक ग्रन्थ है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हर व्यक्ति अपनी प्रकृति के अनुरूप गीता के मंत्रों को अंगीकार करता है। पर, वास्तव में गीता से हमें यह प्रेरणा प्राप्त होती है कि सभी समस्याओं का समाधान निष्काम कर्म करने से ही सम्भव है। यदि हम अपना काम स्वयं न करके या किए गए कार्य से अधिक की अपेक्षा करेंगे, तो यह किसी न किसी दूसरे के हक पर डकैती होगी। भगवान ने गीता की रचना सिर्फ अर्जुन के द्वन्द्व को समाप्त करने के लिए ही नहीं, बल्कि समूची मानवता को कर्तव्य पथ पर चलने की प्रेरणा देने के लिए की थी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जब पांच हजार वर्ष पहले कुरुक्षेत्र में गीता के रूप में भगवान के श्रीमुख से दिव्य वाणी का प्रकटीकरण हुआ था, तब वर्तमान आधुनिक सभ्यताओं का अस्तित्व भी नहीं था। उन्होंने कहा कि निष्काम कर्तव्य के प्रति आग्रही होना वास्तव में भगवान का कार्य करने के समान है। यदि हम निष्काम कर्म की प्रेरणा से अपने कर्तव्यों का ईमानदारीपूर्वक निर्वहन करने लगे, तो दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान अपने आप ही होता दिखाई देगा।
मुख्यमंत्री जी ने गीता व अन्य धार्मिक साहित्य के प्रकाशन के लिए गीता प्रेस के संस्थापक सेठ जी श्री जयदयाल गोयनका तथा कल्याण पत्रिका के आदि सम्पादक भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार का स्मरण करते हुये कहा कि सेठ जी ने 100 वर्ष पूर्व गीता प्रेस की स्थापना कर धार्मिक साहित्य के क्षेत्र में अद्भुत एवं अनुकरणीय मानक स्थापित किए। उन्होंने कहा कि विश्व भर में रहने वाले सनातन धर्मावलम्बियों के लिए गीता, गीता प्रेस और यहां से प्रकाशित होने वाला धार्मिक साहित्य आस्था का विराट केन्द्र है। उन्होंने गीता प्रेस प्रबन्धन का आह्वान किया कि वह अपने शताब्दी वर्ष समारोह में 100 करोड़ धार्मिक साहित्य छापने का लक्ष्य रखे। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने चित्रमय सुण्दरकाण्ड का विमोचन भी किया और समस्त जनमानस को पावन गीता जयन्ती की शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 जे0पी0 पाण्डेय ने कहा कि गीता जीवन का सही मार्ग दिखाने का जीवन्त माध्यम है। हर व्यक्ति को गीता में भगवान की तरफ से दिए गए सन्देशों को समझना चाहिए और उन्हें अपने जीवन में उतारना चाहिए। उन्होंने गीता के श्लोक का स्मरण करते हुए कहा कि यदि हम धर्म की रक्षा नहीं करेंगे तो धर्म भी हमारी रक्षा नहीं करेगा।
कार्यक्रम का संचालन गीता प्रेस के प्रबन्धक श्री लालमणि तिवारी ने किया। इस अवसर पर गीता प्रेस के वरिष्ठ ट्रस्टी श्री बैजनाथ अग्रवाल, ट्रस्टी श्री कृष्ण कुमार खेमका, श्री मुरली मनोहर सर्राफ, कथा व्यास स्वामी नरहरिदास, वाराणसी से आए महामण्डलेश्वर स्वामी संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा, महंत रविंद्र दास आदि भी उपस्थित थे।
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