*छत्तीसगढ़ किसान सभा (CGKS)*
*(अ. भा.  किसान सभा – AIKS से संबद्ध)*
*नूरानी चौक, राजातालाब, रायपुर, छग*


*किसान सभा का 35वां महाधिवेशन 13 से त्रिशूर में, छत्तीसगढ़ से 6 प्रतिनिधि लेंगे हिस्सा, किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष तेज करने की बनेगी रणनीति*

रायपुर। अखिल भारतीय किसान सभा का 35वां राष्ट्रीय सम्मेलन 13–16 दिसम्बर तक त्रिशूर (केरल) में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें पूरे देश से 800 से ज्यादा प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन में केंद्र और राज्यों की किसान विरोधी, कृषि विरोधी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी संघर्ष विकसित करने और संगठन का विस्तार करने की योजना बनाई जाएगी। इस महाधिवेशन में हिस्सा लेने के लिए छत्तीसगढ़ किसान सभा के 6 प्रतिनिधि भी रवाना हो चुके हैं। 

यह जानकारी छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने एक विज्ञप्ति में दी। उन्होंने बताया कि किसान सभा का यह महाधिवेशन केंद्र सरकार के तीन कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ डेढ़ वर्षों तक चले देशव्यापी संयुक्त संघर्ष और इस संघर्ष में 750 से ज्यादा अन्नदाताओं की शहादत के बाद इन  किसान विरोधी कानूनों को केंद्र सरकार द्वारा वापस लेने को बाध्य होने की पृष्ठभूमि में आयोजित किया किया जा रहा है। यदि ये कृषि कानून लागू हो जाते, तो देश की खेती–किसानी कॉरपोरेट कंपनियों के कब्जे में चली जाती। केंद्र सरकार द्वारा लागू की जा रही जन विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष के क्रम में किसान समुदाय को मिली इस अभूतपूर्व जीत में किसान सभा का महत्वपूर्ण योगदान था। इस देशव्यापी संघर्ष के कारण ही किसानों के बुनियादी मुद्दे देश की राजनीति के केंद्र में आ सके हैं।

उन्होंने कहा कि इस जीत के बावजूद गरीब किसानों व भूमिहीनों को कृषि व आवास के लिए भूमि देने और उन्हें ऋणमुक्त करने, खेती–किसानी के लिए सार्वजनिक व्यय को बढ़ाने, सकल लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने का कानून बनाने, खाद–बीज–बिजली–पानी–दवाई में सब्सिडी देने, सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाने, मनरेगा में 200 दिनों का रोजगार और 600 रूपये मजदूरी देने, वनाधिकार और पेसा कानून का प्रभावी क्रियान्वयन करने और विकास के नाम पर किसानों की जमीन न छीनने जैसे मुद्दों पर पूरे देश में आंदोलन जारी है। किसान सभा के इस महासम्मेलन में इन मद्दों पर मजदूर संगठनों के सहयोग से देशव्यापी आंदोलन को मजबूत करने की रणनीति बनाई जाएगी। इसके साथ ही किसानों के सहयोग से मजदूर विरोधी श्रम संहिता को वापस लेने की मांग की जाएगी।

किसान सभा नेता ने बताया कि "हर गांव में किसान सभा और किसान सभा में हर किसान" के नारे को अमल में लाने के लिए भी इस सम्मेलन में योजना बनाई जाएंगी, ताकि अगले पांच वर्षों में किसान सभा की सदस्यता को तीन करोड़ तक पहुंचाया जा सके। इस समय अखिल भारतीय किसान सभा की सदस्यता डेढ़ करोड़ है। संगठन को मजबूत बनाने के लिए देश के सभी जिलों और तहसीलों में इसकी सक्रिय इकाईयां बनाने के प्रयास जारी है। 

उन्होंने बताया कि किसानों के इस समागम को राकेश टिकैत सहित संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य नेता भी संबोधित करेंगे। सम्मेलन के संदेश को किसान समुदाय तक पहुंचाने के लिए निकली सभी "अमर शहीद किसान ज्योति यात्राएं" कल 12 दिसम्बर तक त्रिशूर पहुंच जाएगी। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत करने छत्तीसगढ़ किसान सभा के महासचिव ऋषि गुप्ता (सरगुजा), प्रशांत झा व जवाहर सिंह कंवर (कोरबा), कपिल पैकरा (सूरजपुर) और बिफन नगेसिया (बलरामपुर) त्रिशूर पहुंच चुके हैं। 16 दिसम्बर को सम्मेलन का समापन एक विशाल जन रैली के साथ होगा।

*संजय पराते*
अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ किसान सभा

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