जौनपुर। जब तक जिंदा रहूंगा, उर्वशी के लिए निकलेगी दुआ

बहन की सास के लिए खून की व्यवस्था कराने पर जताया आभार,ऐसे कई असहाय लोगों की उर्वशी कर चुकी हैं मदद

जौनपुर। मड़ियाहूं के सुभाष सरोज जब तक जिंदा रहेंगे तब तक उर्वशी सिंह को याद रखेंगे, क्योंकि वह ऐसे संकट में काम आईं थीं जा वह असहाय हो चुके थे,इसलिए सुभाष के दिल से उर्वशी के लिए हरदम दुआ निकलती रहती है।

लगभग नौ या 10 महीने पहले की बात है। सुभाष सरोज के बहन की सांस इसरावती (70) के हृदय में कुछ समस्या हुई और उनके शरीर में खून की कमी हो गई। हृदय बाईं तरफ दर्द करने लगा। सुभाष के परिचितों में कोई ऐसा नहीं था जो कि उनके लिए जरूरी खून दे सके। एक-दो मित्रों से बात की तो उन्होंने उर्वशी सिंह का नम्बर दिया। उर्वशी से बात की तो उन्होंने 10-15 मिनट का समय मांगा और खून की व्यवस्था करा दी। इसलिए वह संकट में काम आने वाली उर्वशी के लिए हर समय दुआ करने की बात वह करते हैं। ऐसे ही मूलतः बरसठी के और वर्तमान में जौनपुर शहर में रहने वाले प्राथमिक शिक्षक अश्विनी कुमार सिंह बताते हैं कि उन्होंने कई बार उर्वशी से ब्लड की मांग की है। प्राथमिक शिक्षक संघ में संगठन मंत्री अश्विनी कुमार सिंह बताते हैं कि वह वाट्सएप के विभिन्न ग्रुपों से जुड़े हुए हैं। ग्रुपों में तथा व्यक्तिगत तौर पर कोई ब्लड की मांग करता है तो वह वह अस्पताल, डॉक्टर और मरीज की जानकारी उर्वशी सिंह को दे देते हैं। उर्वशी सिंह से उन्हें मदद मिल मिल जाती है। यहाँ तक कि वह मरीज का फॉलोअप भी करती रहती हैं। वह कहते हैं कि जरुरतमंदो के लिए उर्वशी किसी भगवान से कम नहीं है। सामाजिक क्षेत्र में उनका कोई जोड़ नहीं है। कोरोना काल में न जाने कितने लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती कराकर उर्वशी ने अन्य सहयोग भी किया। ऐसे करतीं हैं मदद: उर्वशी सिंह, अतुल्य वेल्फेयर ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं तथा “बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ “ अभियान की जनपद अध्यक्ष हैं। साथ ही रेडक्रॉस सोसायटी, करणी सेना तथा अन्य संगठनों से जुड़ी हैं। इन संगठनों के वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से 250 से अधिक लोगों से जुड़ी हुई हैं। इन ग्रुपों में संदेश जारी कर या काल कर जब कोई ब्लड/प्लेटलेट्स की मांग करता है तो वह काल करने वाले के सम्पर्क नम्बर के माध्यम से संबंधित अस्पताल/डॉक्टर के बारे में जानकारी लेती हैं। इन ग्रुपों में लोगों को संदेश जारी कर तथा उनके सम्पर्क नम्बर पर सम्पर्क कर उन्हें ब्लड उपलब्ध कराती हैं। वह अब तक 200-250 लोगों को ब्लड उपलब्ध करा चुकी हैं। 15 से 20 लोगों को प्लेटलेट्स भी दिलवा चुकी हैं। इसलिए लिया ब्लड उपलब्ध कराने का संकल्प: बात मई 2009 की है। उर्वशी के भाई अतुल्य को नौकरी मिली थी जिसकी खुशखबरी देने वह लखनऊ से जौनपुर आ रहे थे। गोसाईगंज में सड़क दुघर्टना में वह बुरी तरह से घायल हो गए। समय से अस्पताल न पहुंच पाने तथा ब्लड की व्यवस्था न हो पाने से वह बच नहीं सके। भाई को खो देने का ग़म उन्हें सालता रहता है। वह तीन बहनों का इकलौता भाई था। इसलिए उर्वशी ने संकल्प लिया कि कुछ ऐसी व्यवस्था बनाएंगे, जिससे ब्लड की कमी से कोई अपना खोने न पाए। उन्होंने भाई के ही नाम से अतुल्य वेलफेयर ट्रस्ट बना कर लोगों को समय पर ब्लड/प्लेटलेट्स उपलब्ध कराने का संकल्प लिया। लोग रात 12 बजे, तीन बजे भी उन्हें फोन कर ब्लड मांग चुके हैं और निराश नहीं हुए हैं।

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