*ना हिन्दू बुरा हैं ना मुसलमान बुरा हैं, आ जाए बुराई पे वो इंसान बुरा हैं - दिलशाद एस. खान*
*(आज के कालजयी पत्रकार हैं वरिष्ठ पत्रकार दिलशाद एस. खान)*
*मुंबई हलचल / भैरु सिंह राठौड़*
*राजस्थान* देश में यूं तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया में पत्रकार जगत में कई नामचीन हस्तियां मशहूर हुई हैं, जिन्होंने पत्रकारिता इतिहास में अपनी-अपनी कलम का लौहा मनवाया है। लेकिन आज हम आपसे पत्रकारिता जगत में प्रिंट मीडिया के इतिहास की ऐसी शख्सियत का परिचय करवा रहे हैं जो किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। जिन्होंने पत्रकारिता जगत में अपनी उम्र के कई बसन्त पार कर लिए हैं और इस दौरान उन्होंने कई चुनौतियों का संघर्ष करते हुए सामना किया हैं और अपनी कलम का लौहा मनवाया है। जी हां हम बात कर रहे हैं मुंबई निवासी और राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक समाचार पत्र "मुंबई हलचल" के प्रधान संपादक दिलशाद एस. खान की।
दिलशाद एस. खान अपने क्षेत्र में ही नहीं पूरे देश में पत्रकारिता जगत में जाना पहचाना नाम है। पत्रकारिता का क्षेत्र हो या समाजसेवा का। दिलशाद खान हमेशा आगे रहते हैं। हर क्षेत्र में सभी तरह की प्रतिभाओं को तराशना हो तो सबसे पहले दिलशाद खान का नाम सबसे आगे आता हैं। वरिष्ठ पत्रकार दिलशाद खान मुंबई जैसे महानगर में अपनी खबरों से तो सुर्खियों में रहते ही हैं साथ ही माफियाओं की कारगुज़ारियों का पर्दाफाश करने में अपनी पैनी नज़र रखने वाले दिलशाद खान उनकी नजरों में कांटे की तरह खटकते रहते हैं यही कारण है कि हमेशा उनकी नजर की नौक पर बने रहते हैं। वरिष्ठ पत्रकार दिलशाद एस. खान हिन्दू मुस्लिम की खाई को पाटते हुए अल्लाह के इबादत में तो सर झुकाते ही है साथ ही गणेश चतुर्थी पर गणपति बप्पा मोरया के गानों की धुनों पर डांडिया नृत्य महोत्सव में लोगों के सुर में सुर मिलाने में भी कतई गुरेज नहीं करते हैं। हिन्दू धर्म का कोई भी त्यौहार हो दिलशाद खान वहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में अपनी शान समझते हैं। यही कारण है कि वरिष्ठ पत्रकार दिलशाद एस. खान को सर्वधर्म समभाव की प्रतिमूर्ति कहा जाता हैं।
ऐसे ही देश के कई ज्वलंत मुद्दों पर बड़ी बेबाकी से अपनी राय एवं विचार राजस्थान संपादक भैरु सिंह राठौड़ से साझा करते हुए वरिष्ठ पत्रकार दिलशाद एस. खान ने कहा कि धर्म के नाम पर बेवकूफ बनाकर लोगों को लड़ाने वाले राजनेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कटघरे खड़े करते हुए कहा कि यह सब अपने वोट बैंक की खातिर लोगों को बेवकूफ बनाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं। ऐसे हालातों में जनता को सावधान रहते हुए इनसे बचना चाहिए तथा इनका पूर्णतः बहिष्कार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि "ना हिन्दू बुरा हैं ना मुसलमान बुरा हैं, आ जाए जो बुराई पे वो इंसान बुरा हैं"। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल कोई भी हो जो देशहित में काम करे वो सबसे बेहतर है। उन्होंने कहा कि वह पत्रकार बाद में तथा पहले एक "सच्चे हिंदुस्तानी" और इंसान हैं। उन्होंने देश की सेना पर सवाल उठाने वाले राजनेताओं पर तगड़ा प्रहार करते हुए कहा कि सेना की बहादुरी पर उन्हें कतई शक नहीं है और ना किसी को करना चाहिए। उन्होंने सेना पर सवाल उठाने वाले राजनेताओं को मानसिक दिवालियापन का शिकार बताया। वर्तमान की पत्रकारिता जैसे चुनौती भरे में क्षेत्र में अदम्य हौसला रखने वाले कठिन और विलक्षण व्यक्तित्व के धनी वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक दिलशाद खान की व्यापक और धैर्य की क्षमता को सौ सौ सलाम। *(जैसा वरिष्ठ पत्रकार एवं संपादक दिलशाद एस. खान ने राजस्थान संपादक भैरु सिंह राठौड़ को बताया)*
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