अयोध्या,

पंचकोसी परिक्रमा शुक्रवार को होगी ।

 राम नगरी अयोध्या में चौदह कोसी परिक्रमा के उपरांत 4 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी के मौके पर पंचकोसी  परिक्रमा होगी, जो पूरे दिन चलती रहेगी. इसके बाद 8 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा स्नान का पर्व होगा. अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा की परंपरा सदियों पुरानी है. प्रबोधिनी एकादशी के दिन पंचकोसी की परिक्रमा करने का पौराणिक महत्व है. यह परिक्रमा राममंदिर के पांच कोस के भीतर की जाती है. इस दिन को देवउठनी,  देवोत्थान एकादशी और हरि प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। 
अयोध्या में राम जन्मभूमि परिसर समिति द्वारा देवोत्थान एकादशी के दिन 5 कोस की परिक्रमा नंगे पाव की जाती है. इस दिन व्रत रखने का भी खास महत्व है. अयोध्या में 15 किलोमीटर की परिधि में यह परिक्रमा की जाती है. जो लोग अयोध्या की 5 कोसी परिक्रमा कर लेते हैं, उनको भौतिक शरीर से छुटकारा मिल जाता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा परिक्रमा करने से पाप से भी मुक्ति मिलती है । कार्तिक एकादशी का महत्व बहुत है। हिन्दू सनातनी लोग इस दिन महिलाएं व्रत रखती है। पौराणिक कथाओं में वर्णित है ।
देवोत्थान एकादशी के दिन से ही विवाह संस्कार, धार्मिक अनुष्ठान और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं । मान्यता यह भी है कि आषाढ़ माह की शुक्ल एकादशी तिथि को विष्णु भगवान चार महीनों के लिए सो जाते हैं. इसके बाद कार्तिक शुक्ल की एकादशी के दिन जगते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व है क्योंकि चार महीनों में श्रीहरि शेषनाग की शैय्या पर सोते हैं इसलिए उन चार महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. देवोत्थान एकादशी से सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.
इस दिन को तुलसी विवाह
वैष्णव संप्रदाय में अयोध्या के सभी मंदिरों में देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी जी का विवाह संस्कार किया जाता है. इस दिन को तुलसी विवाह के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन हिंदू लोग अपने घरों में तुलसी जी के पौधा की पूजा-अर्चना करते हैं क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी जी बहुत प्रिय हैं. ऐसा माना जाता है कि कार्तिक महीने में जो व्यक्ति तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह करते हैं उनके पिछले जन्मों के सब पाप नष्ट हो जाते हैं साथ ही पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन घर-घर में स्त्रियां शालिग्राम और तुलसी का विवाह रचाती हैं. तुलसी जी को विष्णुप्रिया भी कहा जाता है. कार्तिक मास की नवमी, दशमी और एकादशी को व्रत एवं पूजन कर तुलसी विवाह किया जाता है. इसके अगले दिन तुलसी का पौधा किसी ब्राह्मण को दान करना शुभ माना जाता है

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