*अयोध्या में बने सैकड़ों वर्ष पुराने जातीय मंदिर, जहां पर लगती है अपनी पंचायत*
*अयोध्या।*
श्रीराम मंदिर के निर्माण के साथ ही अयोध्या की भव्यता के लिए केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा प्रयास किया जा रहा है। लेकिन अयोध्या के प्रमुख स्थानों पर स्थित करीब 35 जातीय मंदिर की रखरखाव न होने व विवादित होने के कारण अपनी भव्यता होते नजर आ रहे है। यह सभी जातीय मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराने हैं और इन मंदिरों में यादव मंदिर में राधा कृष्ण व अन्य मंदिरों में श्री राम जानकी की पूजा होती है।राम नगरी अयोध्या को ऐतिहासिक बनाये जाने में यहां के जातीय मन्दिरों अहम भूमि भी मानी जाती है। यहां के जातीय मंदिर और भव्य बनाते हैं। और यह मंदिर पंचायती है जिसका संचालन ट्रस्ट या समिति के माध्यम से किया जाता है। इन जाति आधारित मंदिरों में से कुछ को छोड़ दिया जाए तो इनमें पुजारी से लेकर बावर्ची भी उसी जाति के होते हैं। और अयोध्या में पर्व त्योहारों व मेले में आने वाले श्रद्धालु अपने जातियों के मंदिर में रुकते भी है। इन्ही लोगो द्वारा मंदिरों की परंपरा को पूरा किया जाता है।
अयोध्या में बने जातीय मंदिर में कुछ 250 वर्ष पुराने तो कुछ 100 व 150 वर्ष के है। और इस स्थानों की परंपरा भी अटूट होती है। यहीं नहीं इन मंदिरों में जातीय लोगों के आपसी समस्याओं को निपटाने के लिए वर्ष में एक बार पंचायत भी होती है, जिनमें अधिकांश समस्याओं का निपटारा भी किया जाता है। यह भी देखा गया है कि पंचायत द्वारा फैसला दिए जाने के बाद भगवान के विग्रह के सामने दोनों पक्षों को फैसला मानने की शपथ भी दिलाई जाती है।अयोध्या के चारों दिशाओं में स्थित है जातीय मंदिर जिसमें कुर्मी, धोबी, पटवा, कलवार, कसेरा, हलवाई, विश्वकर्मा, पासी, सोनार, टेढ़ी बाजार स्थित यादव, निषाद, मुराव, खटिक, लकड़हारा, अशर्फी भवन स्थित कसौंधन, बरई, भुज, खाकी अखाड़ा स्थित राजभर, ऋणमोचनघाट स्थित मद्देशिया, कुशवाहा, पटेल, गोलाघाट स्थित दांगी क्षत्रिय मंदिर, स्वर्णखनि कुंड के पास संत रविदास मंदिर, स्वर्गद्वार स्थित गहोई, हनुमानगढ़ी के पास साहू मंदिर स्थित हैं।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know