"पाओगे ना ऊंचाई "
हसरत है तो, मिटा लो।
कांटा हूं मैं , हटा लो।।
अच्छा -बुरा हो कुछ भी।
जो 'हां' कहे, सटा लो।।
हैं लोग बहुत, हमको।
गिनती में अब, घटा लो।।
कुछ लोग , दुम दबाकर।
आएंगे तुम , पटा लो।।
मैं साफ , कह रहा था।
वह सांप है , कटा लो।।
मजबूरियां , बहुत हैं।
चाहे जिसे खटा लो।।
ईमान कटघरे रख।
तुम भी कसम उठा लो।।
झूठों की , भीड़ में तुम।
खुद हाथ भी, बटा लो।।
पर पाओगे , ना ऊंचाई।
कितना भी छटपटा लो।।
बस हाथ , मलोगे तुम।
कितना भी पिटपिटा लो।।..."अनंग "
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