गौ संरक्षण के नाम पर कागजों में खेल चल रहा है। नगर पालिका के पशु आश्रय स्थल में कागजों में 55 गोवंश संरक्षित किए जाने का दावा किया जा रहा है लेकिन मौके पर एक भी गोवंश नहीं हैं। टैग लगे गोवंश किस हाल में कहां हैं यह बताने के लिए कोई तैयार नहीं है। नगर पालिका की सीमा से सटे तिलखी गांव में बेसहारा गोवंशों को पालने के लिए पशुशाला का निर्माण लगभग दो वर्ष पहले कराया गया था। हर वर्ष पुआल, भूसा, गायों की देखभाल के नाम पर रकम खर्च की जाती है लेकिन स्थलीय निरीक्षण के दौरान एक भी गोवंश नहीं मिले। गोशाला की देखभाल के लिए तैनात कर्मचारी भी मौके पर नहीं मिला। स्थिति यह है कि कोतवाली परिसर, तहसील परिसर, बस्ती, बलरामपुर, गोंडा, मनकापुर मार्गों समेत मुख्य बाजार की सड़कों पर बेसहारा गोवंश खुद भी चोटिल हो रहे हैं साथ ही पदयात्रियों, दोपहिया वाहन चालकों के लिए भी खतरे का सबब बनते जा रहे हैं। फल, सब्जी, अनाज की खड़ी फसलों के लिए खतरा बन रहे इन गोवंशों के संरक्षण-संवर्धन के लिए सरकार भरपूर रकम खर्च कर रही है लेकिन नौकरशाही सरकार की योजनाओं को पलीता लगाने के लिए तैयार बैठी है। स्थानीय निवासी राकेश कसौंधन बताते हैं कि पूरे दिन सड़कों पर डेरा जमाए बैठे गोवंशों के कारण औसतन हर दिन सड़क दुर्घटना हो रही है।
प्रभारी ईओ एसडीएम संतोष ओझा का कहना है कि नगरपालिका के पशुशाला में गोवंश नहीं हैं इसकी जानकारी उन्हे नहीं है। जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी।
असगर अली
उतरौला
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