जाने चले जाते है कहाँ?

 

देश में भ्रष्टाचार के रोज नए-नए खुलासे  हो रहे है । भाजपा की डबल इंजन सरकार ने  भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति बनाई हुई है इसके बावजूद एक से एक बड़े केस पकड़े जा रहे है । अभी सबसे ताजा केस प्रोफेसर विनय पाठक जो पिछले पंद्रह साल से लगातार 6 से ज्यादा विश्व विद्यालयों के कुलपति पद पर रहे है  का पकड़ा गया है । तीन सप्ताह पहले उनके खिलाफ इंद्रा  नगर लखनऊ के थाने में  दर्ज हुई एक एफ आई आर पर उनकी गिरफ़्तारी के लिए स्पेशल टास्क फोर्स उन्हे ढूंढ रही है । उनके द्वारा दायर गिरफ़्तारी के खिलाफ याचिका को  प्रदेश की हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है । एस टी एफ ने  विनय पाठक को बयान देने के लिए कहा लेकिन पाठक ने कोई प्रतिउत्तर  नहीं दिया  फिर उनके घर और दफ्तर में नोटिस चस्पा कर दी जिसके जवाब में  एक ई मेल भेजकर अपनी बीमारी का हवाला देते हुए हाजिर होने में असमर्थता व्यक्त कर दी । अब एस टी एफ ने पूछा  है की क्या बीमारी है, इलाज कहाँ चल रहा है, कौन सा  फोन इस्तेमाल कर रहे है और  साथ में कौन देख रेख कर रहा है लेकिन इन सवालों का कोई जवाब  विनय पाठक ने अभी तक नहीं दिया है। यानी  विनय पाठक  लापता है । प्रदेश की पुलिस पूरी मेहनत से उन्हे ढूंढ रही है और तब तक ढूंढती रहेगी जब तक जमानत का इंतजाम नहीं हो जाता।

हालांकि यह बात सुनने में अच्छी नहीं लग रही है और इसमे पुलिस और अदालतों में व्याप्त भ्रष्टाचार की बू आ रही है। इसी तरह  करीब  दो साल पहले एक आइ पी एस आफिसर  मणिलाल  पाटीदार  के ऊपर रिश्वत, हत्या जैसे अनेक आरोप लगे और गिरफ़्तारी का वारंट निकल गया लेकिन जब  जेल जाने की नौबत आई तो ऐन मौके से गायब हो गए । लगभग दो साल पुलिस उन्हें नहीं ढूंढ पाई और उन्होंने लखनऊ की अदालत में आकर जब सरन्डर  कर दिया तभी वह पुलिस को पहली बार दिखाई दिए।  अदालत ने भी उन्हे जमानत देने में पूरी तत्परता दिखाई और तुरंत जमानत दे कर जेल जाने  से मुक्ति दिलवा दी । 

पता नहीं क्या कमाल है , देश के सब एयरपोर्टों  के कमप्युटर  युक्त हो जाने के बाद कोई मजाल नहीं की परिंदा भी देश के बाहर चला जाए। हर आने और जाने वाले की सब सूचनाएं एक क्लिक पर उपलबद्ध होने की सुविधा के बावजूद  जब बंबई का पुलिस कमिश्नर महाराष्ट्र के  गृह मंत्री के लिए पैसे वसूलते पकड़ा गया  तो पुलिस कमिश्नर ऐसा गायब हो जाता है की कई महीने ढूँढे नहीं मिले । कभी समाचार आया की विदेश भाग गए कभी समाचार आता है की चंडीगढ़ में मिलेंगे । लेकिन वह मुंबई में ही वहाँ से कुछ दूर एक प्राइवेट आईलैन्ड पर आराम फरमाते रहे और जब जमानत का इंतजाम हो गया तो अदालत में हाजिर हो गए ।   कहते है की कानून के हाथ बड़े लंबे होते है और अपराधी चाहे पाताल  में भी छुप जाए पुलिस वाले  वहाँ से भी निकाल लाते है । लेकिन अफसोस की  जब कोई वीआईपी खासतोर पर किसी पुलिसवाले की अपने पाप के कारण जेल जाने की नौबत आती है तो पता ही नहीं चलता की कहा छुप जाते है ये वीआईपी । ये फिर ढूँढे तभी मिलते है जब इनकी जमानत का इंतजाम हो जाता है । अब फिर कुछ वैसा ही हो रहा है दो से ज्यादा सप्ताह निकल गए है और खोज जारी है। मुझे लगता है मेरी तरह यह रहस्य देश और प्रदेश के तमाम आम आदमियों को नहीं समझ में आता है की वारंट निकाल जाने के बाद ये वीआईपी लोग जाने चले जाते है कहाँ ?

अजय सिंह “एकल”

 

 

 

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