23 नवम्बर को हैं मार्गशीर्ष अमावस्या, यहाँ जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और क्या करना हैं दाम? 


हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष माना जाता है। जी हाँ और हर महीने में अमावस्या तिथि आती है और हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह मार्गशीर्ष माह चल रहा है। आपको बता दें कि इसी को अगहन मास भी कहा जाता है और मार्गशीर्ष अमावस्या 23 नवंबर, बुधवार को मनाई जाने वाली है।

जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्नान दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसी के साथ ही पितृ दोष की मुक्ति के लिए इस दिन तर्पण किया जाता है। आपको बता दें कि इस बार तो मार्गशीर्ष अमावस्या पर तीन शुभ योग बन रहे हैं। जी हाँ और इन तीन शुभ योगों में सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और शोभन योग शामिल हैं। आपको बता दें कि इन योग में अमावस्या तिथि का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि-
अमावस्या तिथि प्रारंभ - 23 नवंबर, 2022 बुधवार, सुबह 06:53 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्त - 24 नवंबर। 2022 गुरुवार, प्रात: 04:26 बजे तक

मार्गशीर्ष अमावस्या पर शुभ मुहूर्त-
शोभन योग - 22 नवंबर को शाम 06 बजकर 38 मिनट से 23 नवंबर को दोपहर 03 बजकर 40 मिनट तक
अतिगंड योग - 23 नवंबर को दोपहर 03 बजकर 40 मिनट से 23 नवंबर को रात 09 बजकर 37 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग - 23 नवंबर को रात 09 बजकर 37 मिनट से 24 नवंबर गुरुवार को प्रात: 06 बजकर 51 तक

मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा विधि- इस दिन सुबह नदी, तालाब, या नल पर स्नान करें और फिर व्रत का संकल्प करें। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे में फूल और अक्षत लेकर अर्घ्य देना चाहिए। अब पितरों को जल चढ़ाना चाहिए और पितरों के निमित्त तर्पण करें। इसके बाद गरीबों और ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान दें, और भोजन कराएं।

इन चीजों का करें दान- आमावस्या के दिन कुछ विशेष चीजों का दान करने से पुण्य प्राप्त होता है। कहा जाता है इस दिन गरीब या जरुरतमंद लोगों में तिल, तेल, चावल, चद्दर, छाता, चना, खिचड़ी, पुस्तक, साबूदाना, मिठाई, चने की दाल, अन्न, वस्त्र, रुई, उड़द की दाल दान किया जाना चाहिए।



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