उत्तर प्रदेश:-
लखनऊ:- 20 नवम्बर कल 19 नवंबर मुख्य अभियन्ता मीरजापुर के आकस्मात निधन की दुखद खबर मिली बडे़ ही मिलनसार व हसमुख स्वभाव के धनी व्यक्ति थे पूरे दिन सोशल मीडिया पर तरह तरह से शोक संदेश लोग दे रहे! थे और चर्चा कर रहे थे कि अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन और प्रबंधनिदेशक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के द्वारा उनको विभागीय कार्य को ले कर सुबह शाम विडिओ कान्फ्रेंस के माध्यम से अत्याधिक मासिक प्रतारणा दी जा रही थी और शाम तक एक पत्र भी सोशल मीडिया पर चलने लगा जिसकी पुष्टी नही हो पा रही है। क्योकि पत्र उनकी पत्नी की तरफ से पुलिस को लिखा गया था परन्तु उस पर किसी के हस्ताक्षर नही है पत्र मे आरोप लगाया जा रहा था कि अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन और प्रबंधनिदेशक पूर्वांचल के द्वारा अत्याधिक काम का दबाव बनाया जा रहा था जिसकी वजह से ही मुख्य अभियन्ता की मृत्यु हुई है ।
वैसे राजा बाबू एक निहायती सज्जन व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे यह मै तो भी व्यक्तिगत रूप से भी कह सकता हूँ मेरी भी कई मुलाकाते उनकी मध्यांचल तैनाती के समय हुई थी लेकिन एक सच्चाई पाठको के समक्ष रखना चाहता हूँ कि पावर कार्पोरेशन मे यह पहली मौत नही है । कार्पोरेशन मे इन बड़का बाबूओ के द्वारा प्रताडित व्यक्ति और भी हुए थे ऐसे ही एक और मिलनसार व्यक्ति होते थे पूर्व प्रबन्ध निदेशक मध्याचल व निदेशक कार्मिक प्रशासन उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन स्वर्गवासी एस पी पाण्डेय जी वो भी तो दिन मे हुए अपमान को सह न पाते हुए उस दिन जल्दी घर चले गये थे और उनको भी यही हार्ट अटैक आया था वो भी तीन तीन एक के बाद एक वह पहले शिकार हुआ थे* इन बडका बाबूओ के अहंकार के ऐसी चर्चा तब भी हुई थी
पूर्व मे एक जोडी थी बड़का बाबूओ की जिसने इस विडियो कॉन्फ्रेंसिंग की शुरूआत की थी और इस जोडी मे एक सिविल डिवीजन के विशेषज्ञ और एक कानून विशेषज्ञा थी शक्तिभवन भवन मे चर्चा रहती थी उनके कारनामो की आये दिन अभियन्ताओ को बुला कर सार्वजनिक रूप से बेज्जत करना तो सिविल विशेषज्ञ का शौक था। अभियन्ता उस समय यह समझ ही नही पा रहे थे कि इन बड़का बाबूओ से कैसे व्यवहार किया जाऐ क्यो कि अभी अभी एक अभियन्ता ने प्रबंध निदेशक उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन पद से लम्बे समय शासन चलाकर इस्तीफा दिया था अभियन्ता वर्ग तो अभी नीद से जाग भी नही पाया था और सार्वजनिक रूप से उसे अपमानित किया जा रहा था इसी दौरान एक बडा धोटाले होने की चर्चा होने लगती है धीरे धीरे चर्चा सच्चाई मे बदलती है और पूर्व प्रबन्ध निदेशक व उस समय के वर्त्तमान निदेशक वित्त पूछताछ के बहाने से ले जा कर जेल मे डाल दिये जाते है पूरा प्रदेश कार्यबहिष्कार से हिल जाता है शक्तिभवन मे घरना दिया जा है । फिलहाल जाच ठंडे बस्ते मे है क्यो कि धोटाले की आच अब बडका बाबू तक पहुचने लगी थी । वैसे एक प्रसंग मुझे और याद आ रहा है एक बार तत्कालीन निदेशक वित्त महोदय इन बडका बाबूओ के द्वारा बार बार अपमान ना सह सकने के कारण अपना त्यागपत्र भी लिख आऐ थे फिर उनको लोगो ने समझाया और फिर त्यागपत्र वापस हुआ लेकिन अच्छा होता त्यागपत्र स्वीकार हो जाता कम से कम इतने लम्बे समय जेल मे तो नही रहते । ऐसे अनेको उदाहरण मेरी स्मृति मे भरे पडे है बहुत मेहनत से अब सब विद्युत कर्मी नीद से जागे है और अपने हक की आवाज उठाई है लेकिन याद रहे सन् 2000 वाला हाल नही होना चाहिए । वैसे कुछ लोग है जो सब कुछ जानते हुए भी अंजान बने रहे थे पता नही क्यो ? ऐसा लगता है कि शायद सिक्को की खनक ने या स्वार्थ ने मुह खोलने ना दिया । जबकि जनहित मे एक सामाजिक कार्य करने वाली सस्था के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद मे इस अवैध नियुक्ति के खिलाफ जनहित मे दो जनहित याचिका लगा रखी है जो कि न्यायालय मे विचाराधीन है। समाचार पत्र व सोशल मीडिया पर
बार बार उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन मे अवैध रूप से नियुक्त बडका बाबू लिखने पर लोगो द्वारा उठाए गये प्रश्नो के जवाब मे उनको प्रमाण उपलब्ध कराए कि किस तरह से यह नियुक्तिया अवैध है और क्या प्रकृया है वैध नियुक्ती की । यहाँ तक कि वर्तमान समय मे अवैध रूप से अध्यक्ष पावर कार्पोरेशन का पद सभाल रहे बडका बाबू को भी उनके द्वारा पूछने पर उन्ही के कार्यालय मे जा कर बताया कि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन का एक मेमोरेंडम आफ आर्टिकल है जिसमे नियुक्ती कैसे होगी और व्यवस्था चलेगी और यह कहा लिखा है बताया था ।
देर से सही लेकिन आज यह आदोलन खडा हुआ है जिसके माध्यम से हर कर्मचारी को यह मालूम हो जाएगा कि कैसे यह बडका बाबू अवैध रूप से बैठे है फिलहाल सबअपना योगदान देने के लिए तैयारी ऐसी चर्चाऐ हो रही है । खैर
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