मथुरा।।
वृन्दावन।गोपीनाथ बाज़ार स्थित श्रीकृष्ण काली पीठ में शारदीय नवरात्र महोत्सव के उपलक्ष्य में शतचंडी महायज्ञ अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ चल रहा है।जिसमें अनेकों वैदिक विप्रों के द्वारा दुर्गा सप्तशती के पाठ व हवन आदि के कार्यक्रम हो रहे हैं।
श्रीकृष्ण काली पीठाधीश्वर डॉ केशवाचर्या महाराज ने बताया है कि श्रीकृष्ण काली पीठ अत्यंत प्राचीन व सिद्ध स्थली है।मां दुर्गा के सभी स्वरूपों में मां काली का विशिष्ट स्थान है।तंत्र शास्त्र में मां काली के जिन आठ स्वरूपों का वर्णन किया गया है,उन्ही में से एक श्रीकृष्ण काली हैं। जो कि श्रीकृष्ण काली पीठ में विराजमान हैं।उनका यह दिव्य व भव्य विग्रह 5 फीट ऊंचा है।उनका मुखारविंद और श्री चरण भगवान श्रीकृष्ण जैसे हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि श्रीकृष्ण काली पीठ में विराजित मां काली की प्रतिमा डॉ. केशवाचार्य महाराज के पूर्वजों को सैकड़ों वर्ष यमुना किनारे केशीघाट पर पृथ्वी के अंदर से खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी।जिसे मन्दिर में स्थापित करके उनकी पूजा-अर्चना प्रारम्भ की गई।इस प्रतिमा में भगवान श्रीकृष्ण मां काली के रूप में विराजित हैं।इसीलिए इस प्रतिमा को श्रीकृष्ण काली कहा जाता है।
युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा ने कहा कि श्रीकृष्ण काली पीठ की श्रीधाम वृन्दावन में अत्यधिक मान्यता है।क्योंकि यह भगवान श्रीकृष्ण एवं मां दुर्गा का मिश्रित स्वरूप हैं।इसीलिए इसके दर्शन करने के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से असंख्य भक्ति श्रृद्धालु यहां आते हैं।

राजकुमार गुप्ता 

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