वृन्दावन। छटीकरा रोड़ स्थित चिंतामणि कुंज में शारदीय नवरात्रि के उपलक्ष्य में चल रहे दस दिवसीय शतचंडी महायज्ञ के अंतर्गत वेदज्ञ विप्रों के द्वारा दैनिक दुर्गा सप्तशती पाठ एवं हवन आदि के कार्यक्रम किए जा रहे हैं।इसी के चलते अष्टमी के दिन 500 से भी अधिक कन्या - लांगुरों का पूजन-अर्चन करके उन्हें भोजन प्रसाद ग्रहण कराया गया।जिसमें देश के विभिन्न प्रांतों से आए असंख्य भक्तों-श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
चिंतामणि कुंज पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. आदित्यानंद महाराज ने कहा कि चिंतामणि कुंज हमारे सदगुरुदेव ब्रह्मलीन श्रीश्री 1008 स्वामी शिवमूर्ति महाराज की साधना स्थली है।यहां पर उनके परमाणु आज भी यहां के कण-कण में व्याप्त हैं।उन्ही के प्रताप से प्रतिवर्ष की दोनों नवरात्रों में कन्या-लांगूरों का पूजन अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ किया जाता है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि चिंतामणि कुंज में स्थापित देवी मां की प्रतिमा अत्यंत दिव्य व भव्य है।उनके दर्शन करने मात्र से सभी की सभी मनोकामनाएं निश्चित ही पूर्ण होती हैं।इसीलिए यहां आने वाले भक्तों व श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
ब्रजभूमि कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि नवरात्रों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। इन दिनों कन्या व लांगुरों का पूजन-अर्चन करके प्रसाद ग्रहण कराने से मां दुर्गा अति शीघ्र ही प्रसन्न होकर भक्तों को मनवांछित फल प्रदान करती हैं।
इस अवसर पर महंत मोहिनीशरण महाराज,आचार्य बद्रीश महाराज, आचार्य रामविलास चतुर्वेदी, सौरभ गौड़, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा आदि की उपस्थिति विशेष रही।
राजकुमार गुप्ता
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