मथुरा।।
वृन्दावन। गोविंद घाट स्थित अखिल भारतीय निर्मोही बड़ा अखाड़ा श्रीहित रासमंडल के श्रीजी मन्दिर में अन्नकूट महोत्सव अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ मनाया गया।इस अवसर पर श्रीजी को छप्पन भोग निवेदित किए गए।साथ ही प्रख्यात रससिद्ध वाणीकारों द्वारा रचित अन्नकूट से सम्बन्धित पदों का गायन संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य किया गया।
अखिल भारतीय निर्मोही बड़ा अखाड़ा श्रीहित रासमंडल के महंत लाड़िली शरण महाराज व बाद स्थित श्रीहित हरिवंश महाप्रभु की जन्मभूमि के महंत दंपत्ति शरण महाराज (काका जी) ने कहा कि ब्रज में अन्नकूट की महत्ता दीपावली से भी अधिक है।इसे द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज वासियों के द्वारा की जाने वाली देवराज इंद्र की पूजा के स्थान पर प्रारम्भ किया था।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व डॉ. राधाकांत शर्मा ने कहा कि गिरिराज गोवर्धन कलयुग के साक्षात व प्रत्यक्ष देवता हैं,जो द्वापर युग से ब्रजभूमि में विराजित हैं।वे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के ही अवतार कहे जाते हैं।इनकी पूजा व आराधना करने से श्रीकृष्ण व राधा दोनों ही की कृपा व्यक्ति पर बरसती है।
बरसाना के प्रख्यात भागवताचार्य श्याम सुंदर ठाकुरजी व पंडित राधावल्लभ वशिष्ठ ने कहा कि गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव भगवान श्रीकृष्ण की एक अलौकिक लीला है।जिसमें एक ओर तो वे गिरिराज गोवर्धन के रूप में स्वयं पूज्य बने और दूसरी ओर उन्होंने नंदनंदन के रूप में ब्रजवासियों के साथ गाते-बजाते हुए गिरिराज गोवर्धन की पूजा-अर्चना की।वस्तुत: यह महोत्सव हमारी पुरातन संस्कृति में निहित अपने आराध्य के प्रति आस्था के अतिरिक्त माधुर्य व वैभव का भी प्रतीक है।
इस अवसर पर आचार्य विष्णु मोहन नागार्च, डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा, इंद्र शर्मा, प्रियावल्लभ वशिष्ठ, रामप्रकाश भारद्वाज मधुर, लालू शर्मा,भागवताचार्य राकेश शास्त्री आदि की उपस्थिति विशेष रही।संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।महोत्सव का समापन संत-ब्रजवासी-वैष्णव सेवा व भंडारे के साथ हुआ।


राजकुमार गुप्ता 

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