उतरौला(बलरामपुर) उतरौला की सैकड़ों वर्ष पुरानी प्रसिद्ध राम लीला का दशहरा में रावण दहन इस बार आकर्षक का केंद्र रहेगी। इस बार रावण के पुतले का निर्माण बांस से न करके लोहे के सरिया से ढांचा बनाकर रावण दहन किया जाएगा। इसकी जानकारी दुःख हरण नाथ मंदिर उतरौला के महन्त मयंक गिरि ने देते हुए बताया कि उतरौला कस्बे में अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही ऐतिहासिक राम लीला का मंचन दशहरा के दस दिन पहले से शुरू हो जाता है।
इसमें मंदिर के सामने बने राम लीला मैदान में पांच दिन तक विभिन्न कार्यक्रम होते हैं। इसमें राम आगमन के बाद पोखरें में नाव से भगवान राम को समुद्र की तरह पोखरा पार करना दिखाया जाता है। उसके बाद भारतीय विघालय इण्टर कालेज उतरौला के सामने मैदान में पांच दिनों तक राम लीला का मंचन किया जाता है। इसमें जटायु वध,सूपनखा का नाक कटना व सीता हरण , समुन्दर पर पुल बांधना,लंका दहन दिखाया जाता है। दशहरा के दिन रावण वध दिखाया जाता है। इसको देखने के लिए उतरौला ल दूर दराज से भारी संख्या में लोग आते हैं। रावण दहन में रावण का पुतला बांस से बनाया जाता रहा है। उसे दशहरा को जला दिया जाता रहा है। इस बार रावण का पुतला लोहे के सरिया से बनाया गया है। लोहे के बने रावण के पुतले पर आकर्षक रुप से कागज लपेट कर रावण दहन की योजना है। रावण का पुतला लोहे से बनाए जाने पर रावण दहन के समय केवल उस पर लगा कागज जल जाएगा और लोहा बच जाने से अगले वर्ष उसका उपयोग फिर हो सकेगा। लगभग पचास हजार रुपए लागत से बने लोहे के पुतले का प्रयोग बराबर किया जा सकेगा। दशहरा के दुसरे दिन बड़ी मस्जिद व ज्वाला महारानी मंदिर उतरौला के बीच देर रात में भरत मिलाप का मनमोहक कार्यक्रम दिखाया जाता है। इस दिन भगवान राम लंका विजय के बाद अयोध्या आने का भ्रमण कार्यक्रम नगर में घूमता हुआ आता हैं।
भरत मिलाप के दूसरे दिन भगवान राम की राजगद्दी का कार्यक्रम दिखाया जाता है। राम लीला में सबसे आकर्षक भगवान हनुमान का सुन्दर मुखौटा होता है। कहा जाता है कि ऐसा मुखौटा आस पास के जिले की राम लीला कमेटी के पास नहीं है।
असग़र अली
उतरौला
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