दीपावली के समय मिठाइयों की डिमांड बढ़ जाती है। ऐसे में मुनाफा कमाने के लिए मिलाटवखोर हलवाई मिलावट करना शुरू कर देते हैं, खासकर, खोये में। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार सिंथेटिक दूध व मिलावटी खोये की बनी मिठाइयां किडनी से लेकर लीवर तक खराब कर सकती हैं। सास नली में भी दिक्कत आ सकती है। वहीं पेट के अन्य जरूरी अंगों को भी बेहद नुकसान पहुंचा सकती हैं। ऐसे में जरूरी है कि खोये की सफेदी देखकर आंखें बंद करके खरीदारी करने की बजाए, खोया खरीदते समय असली-नकली की पहचान करें।

दीपावली त्योहार के नजदीक आते ही अन्य जनपदों से मिलावटी खोया आने लगा है। एक लीटर दूध 55 में, पांच लीटर दूध में तैयार होता है एक किलो खोया 250 रुपये वाले खोये की शुद्धता पर भी कई लोग सवाल उठाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एक किलो शुद्ध दूध से मात्र 200 ग्राम खोया निकलता है। दूध की कीमत 55 रुपये प्रति लीटर है। इस तरह एक किलो खोया तैयार करने में पाच से साढ़े पांच लीटर दूध और ईधन खर्च होता है। ऐसे में खोया का कम भाव में मार्केट में बिकना मिलावट की पहचान के लिए काफी है।

*आयोडिन टिंचर डालते ही हो जाएगा दूध का दूध, पानी का पानी*

विशेषज्ञ के अनुसार असली खोये की पहचान के लिए आयोडीन टिंचर की खोये में दो-तीन बूंद डालें। असली होने पर रंग लाल हो जाएगा। खोये का रंग काला होने पर उसे विशुद्ध मिलावटी समझा जाए। इसी तरह शुद्ध खोया रगड़ने में चिकनाहट छोड़ता है, जबकि मिलावटी खोया मसलने में बत्ती बनकर अलग-अलग हो जाता है। खोये को पहचानने का दूसरा तरीका यह भी है कि उसे उंगलियों से रगड़कर देखें कि ये दानेदार है या नहीं। अगर यह दानेदार लगे तो हो सकता है कि इसमें मिलावट कि गई हो। इसके अलावा खोया चखने पर कड़वा लगता है तो समझ लें कि इसमें मिलावट की गई है।

*दानेदार होता है शुद्ध खोया*

विशेषज्ञों के अनुसार मिलावटी खोये को हाथ में लेने पर पाउडर-सा छूटता है, क्योंकि उसमें सूखापन होता है, जबकि शुद्ध खोया दानेदार होता है। अगर खोया शुद्ध होगा, तो कच्चे दूध जैसा स्वाद आता है। इन चीजों को मिलाने से बनता है नकली खोया खोया बनाने के लिए मिलावटखोर मैदा, डालडा, पाम ऑयल, सिंथेटिक दूध, आरारोट, आलू, शकरकंद, सिंघाड़े का आटा व चीनी का इस्तेमाल करते हैं। इतना ही नहीं खोये का रंग बदलने के लिए केमिकलों का भी इस्तेमाल होता है।

*गाढ़े रंग की मिठाइयां बिलकुल न खरीदें*

चिकित्सको के अनुसार किसी मिठाई का रंग ज्यादा गहरा हो तो उसे बिल्कुल भी न खरीदें। क्योंकि हो सकता है कि मिठाई को आकर्षक दिखाने के लिए हानिकारक केमिकल वाले रंगों का इस्तेमाल किया गया हो। मिलावट जांचने के लिए लेते हैं। डॉ. ने बताया कि सेहत के लिये ये मिठाईयां बहुत ही हानिकारक है। 

देशी घी के नाम पर हलवाइयों का गोरखधंधा

कस्वा में देशी घी के नाम पर आम आदमी को झूठा आश्वासन देकर उन्हें दोगुने दामो में बेचकर उनसे मुनाफा कमा रहे है। जबकि मिठाई में रिफाइंड मिलाकर उसे बेचा जा रहा है। खाद्य विभाग की टीम के द्वारा सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। लोगों ने जिलाधिकारी से असली नकली मिठाइयों की जांच कराए जाने की मांग की है।

राजकुमार गुप्ता 

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