धनतेरस पर ऐसा क्या करें की न आत्महत्या हो और न ही अकाल मृत्यु  - जानते हैं वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल जी से 

सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल, कोलकाता 
इंटरनेशनल वास्तु अकादमी सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता 


मृत्यु का समय के विषय में ज्योतिष आचार्य भी नहीं बताते हैं। ज्योतिष की की पढ़ाई में आयु निर्णय सिखाया जाता है परन्तु गुरु इस गणना को गोपिया रखने का परामर्श हर शिस्य को देते हैं। इन दिनों छोटे छोटे घरों से लेकर बड़े घरो तक अकाल मृत्यु की घटनाये सामने आने लगी है। उस में से एक है गले में फांसी लगा कर आत्महत्या।  स्वयं यमराज ने अपने दूतों को अकाल मृत्यु से बचने के उपाय बताये हैं। 

 धनतेरस और अकाल मृत्यु से जुडी ये कथा का विवरण पौराणिक में है। एक समय यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या कभी उन्हें प्राणियों के प्राण का हरण करते समय किसी पर दयाभाव भी आया है, तो वे संकोच में पड़कर बोले-"नहीं महाराज! हमें दयाभाव से क्या मतलब। हम तो बस आपकी आज्ञा का पालन करने में लगे रहते हैं।" यमराज को फिर उत्सुकता बढ़। उन्होंने पुनः पूछा, ठीक से बताओ। इस पर दूत ने संकोच छोड़कर बताया कि एक बार एक ऐसी घटना हुई तो थी। हेम नामक राजा की पत्नी ने जब एक पुत्र को जन्म दिया, तो ज्योतिषियों ने नक्षत्रगणना करके बताया कि बालक जब भी विवाह करेगा, उसके चार दिन बाद ही मर जाएगा। यह जानकर उस राजा ने बालक को स्त्रियों की छाया तक से बचाने हेतु यमुना तट की एक गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर बड़ा किया। संयोग से एक दिन जब महाराजा हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही थी, तो उस ब्रह्मचारी युवक ने मोहित होकर उससे गांधर्व विवाह कर लिया। चौथा दिन पूरा होते ही वह राजकुमार मर गया। अपने पति की मृत्यु देखकर उसकी पत्नी बिलख-बिलख कर रोने लगी। उस नवविवाहिता का करुण विलाप सुनकर दूतों का हृदय भी कांप उठा। दूतो ने करुण शब्दो में कहा की जीवन में कभी भी उन्होंने इतना सुंदर जोड़ी नहीं देखी थी। वे दोनों साक्षात् कामदेव व रति के अवतार मालूम होते थे। उस राजकुमार के प्राण हरण करते समय दूतों के आंसू नहीं रुक रहे थे। यह सुनकर यमराज ने कहा- विधानानुसार उसकी मर्यादा निभाकर उन्हें ऐसे अप्रिय कार्य करने ही पड़ते हैं। इतनी बात हुई ही थी की एक दूत बोल पड़ा - 'क्या अकालमृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है?'  यमराज बोले-“हां, उपाय तो है। अकालमृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को धनतेरस के दिन पूजन और दीपदान विधिपूर्वक करना चाहिए। जहां यह पूजन होता है, वहां अकालमृत्यु का भय नहीं सताता।” 

धनतेरस के दिन यमराज के पूजन के पश्चात् दीपदान करें।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने