मथुरा।।
भाई और बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक भाई दूज का त्योहार आज बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है।धर्म नगरी मथुरा में भाई दूज की अलग ही छटा दिखाई दे रही है।आज यम फांस से बचने के लिए भाई और बहन मथुरा के विश्राम घाट पर यमुना नदी में एक साथ डुबकी लगाते हैं।जिससे भाई को लंबी उम्र की कामना मिले और स्वर्ग की प्राप्ति हो।

*55 नाव और 20 गोताखोर तैनात*

दीपावली के पंच दिवसीय त्योहार में अंतिम त्यौहार भाई दूज का मनाया जाता है।भाई दूज पर भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं और बहन उनका तिलक करती है, मिठाई खिलाती है और आदर सत्कार के साथ भोजन कराती हैं।मान्यता है कि भाई दूज के दिन ही यम द्वितीया होती है। ऐसे में जो भाई-बहन मथुरा के विश्राम घाट पर यमुना नदी में एक साथ डुबकी लगाते हैं उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह लोग यमलोक जाने से बच जाते हैं,क्योंकि यमराज ने अपनी बहन यमुना को ऐसा वर दिया था।भाई दूज पर सुबह से ही विश्राम घाट पर लोगों की भारी भीड़ पहुंची।पुलिस ने भी कड़े इंतजाम कर रखे थे। लगभग 500 से अधिक पुलिसकर्मी लोगों की सुरक्षा के लिए विश्राम घाट के आसपास तैनात थे।प्रशासन ने स्नान के दौरान दो एएसपी, चार सीओ, 20 इंस्पेक्टर, 100 एसआई, 500 कांस्टेबल तैनात किए हैं।नगर निगम ने सुरक्षा के लिए नदी में 55 नाव और 20 गोताखोर भी लगाए हैं।

*यमराज ने बहन यमुना से वर मांगने को कहा*

धार्मिक मान्यता के अनुसार बताया जाता है कि सूर्य भगवान और उनकी पत्नी संज्ञा देवी की दो संताने यमराज और यमुना थी।दोनों भाई बहन यमराज और यमुना एक दूसरे से काफी प्यार करते थे। ऐसे में कई बार बहन यमुना ने अपने भाई यमराज से उनके घर आने को कहा,लेकिन यमराज व्यस्तता होने के कारण उनके घर नहीं पहुंचे।एक बार जब यमराज को अपनी बहन यमुना की याद आई तो वह उन्हें ढूंढ़ते हुए मथुरा के विश्राम घाट पर पहुंच गए। जहां उनकी मुलाकात यमुना से हुई इसके बाद यमुना ने उनका सादर सत्कार किया, तिलक किया और उन्हें भोजन कराया।जिससे खुश होकर यमराज ने बहन यमुना से वर मांगने को कहा, तो यमुना ने यमराज से वर मांगा कि जो भी नर नारी मेरे जल से स्नान करें वह कभी यमपुरी ना जाए।

*तबसे यम द्वितीया कहा जाने लगा*

बहन के वर मांगने पर यमराज दुविधा में पड़ गए क्योंकि वह अगर इस वर को दे देते तो कोई भी व्यक्ति नहीं मरता और यमलोक का अस्तित्व ही खत्म हो जाता।जिसके बाद बहन यमुना ने अपने भाई की दुविधा को समझ कर कहा कि मुझे ऐसा वर दीजिए कि जो भी आज के दिन अपनी बहन के यहां टीका करा कर और भोजन करने के बाद मेरे जल से स्नान करें उसे यमपुरी ना जाना पड़े।जिस पर यमराज ने उनके निवेदन को स्वीकार कर उन्हें वर दिया। यमराज ने कहा कि जो व्यक्ति अपने बहन के घर इस तिथि पर भोजन नही करेगा उसे मैं अपने यम फांस में बांधकर यमपुरी ले जाऊंगा और जो यहां स्नान करेगा वह सीधा स्वर्ग जाएगा।उस दिन के बाद से ही भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा और इस तिथि को यम द्वितीया कहा जाने लगा।

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