जौनपुर। स्वयं के विकास के लिए प्रतिस्पर्धा की जगह अनुस्पर्धा करें - प्रोफेसर ए.के. वर्मा
कलाम के व्यक्तित्व को अपने जीवन में उतारें - प्रोफेसर बाबा लखेन्द्र
जौनपुर। भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर मोहम्मद हसन पीजी कॉलेज द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि प्रोफेसर एके वर्मा निदेशक सेंटर फॉर स्टडी आफ सोसायटी एंड पॉलीटिकल ,कानपुर ने कहा कि व्यक्ति को प्रतिस्पर्धा की जगह अनुस्पर्धा करनी चाहिए जिससे कि वे दिन ब दिन स्वयं को बेहतर कर सकें।
उन्होंने कलाम के बारे में कहा कि उनका पुरा जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित था, उन्हें क़िताब पढ़ने का शौक था।उन्होंने गीता, पुराण योगसूत्र सहित कई पुस्तकों का अध्ययन किया, क्योंकि उनका सपना देश को विकसित बनाना एवं ज्ञानवान समाज बनाना था। प्रो वर्मा ने कहा कि छात्रों को भी यह संकल्प लेना चाहिए की वह भी घर में लाइब्रेरी स्थापित करें व अध्ययन करें। संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि डॉ दिग्विजय सिंह राठौर असिस्टेंट प्रोफेसर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय ने युवा और साइबर अपराध पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आजकल ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में काफी धोखाधड़ी हो रही है, व्हाट्सएप और फेसबुक पर सही आईडी बनाने पर उसका क्लोन करके आपका अकाउंट हैक कर लिया जाता है और आपके आईडी से के मित्रों से पैसा मांगा जाता है, इसी तरह हनी ट्रैप का भी मामला है जिससे लोग आए दिन जालसाजी और ठगी के शिकार हो रहे हैं इससे हम सभी को सतर्क रहने की आवश्यकता है और अपने व्हाट्सएप , ईमेल और फेसबुक पर सिक्योरिटी कोड एवं प्रोफाइल लॉक करके रखना चाहिए। अपने सभी दस्तावेज को रखने के लिए डिजिटल लॉकर का प्रयोग करना चाहिए l
कार्यक्रम के विशिष्टवक्ता प्रोफेसर विजय कुमार राय प्राचार्य ,गांधी स्मारक त्रिवेणी पीजी कॉलेज बरदह आजमगढ़ ने भी वैल्यू एजुकेशन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि किडनैपिंग शब्द का अर्थ लोग अपहरण से लगाते हैं जबकि किडनैपिंग "किड" की होती है अर्थात बच्चों का अपहरण होता है किंतु लॉ के अभाव में उसी शब्द का व्यापारिक रूप से होता है आज समाज को अपनी मानसिकता परिवर्तित करना चाहिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विजय राव ने कलाम पर अपने विचार व्यक्त किए। सेमिनार के तृतीय सत्र के मुख्य अतिथि डॉ अरुण कुमार सिंह प्राचार्य राजा हरपाल सिंह महाविद्यालय सिंगरामऊ थे। उन्होंने कलाम के विजन इंडिया 2020 पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि कलाम का सपना था कि भारत 2020 में विकसित राष्ट्र के रूप में दुनिया में जान आ जाए। किंतु यह भारत का दुर्भाग्य है कि वह अभी समृद्ध राष्ट्र के रूप में तो है किंतु विकसित नहीं इस परिप्रेक्ष्य में वर्तमान सरकार ने कई सारी योजनाएं भी चलाई है नई शिक्षा नीति, स्टार्ट अप,मेक इन इंडिया स्मार्ट सिटी, उड़ान आदि अच्छे प्रयास है किंतु उसका उपयोग आम आदमी नहीं कर पा रहा है। वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत अपने पड़ोसी देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश से पीछे है, मानव सूचकांक एवं प्रसन्नता सूचकांक में भी भूटान भारत से बेहतर स्थिति में है। उन्होंने कहा कि नीतियां बदलने की नहीं नियत बदलने की आवश्यकता है भारत तभी विकसित होगा जब भारत में आर्थिक धार्मिक सामाजिक अमीरी- गरीबी ,जाति- पाति एवं का भेदभाव मिट जाए और सभी लोग बराबर हो। इसी क्रम में विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर हसीन खान ने कहा कि 20 वीं सदी में या देश के निर्माण में गांधी और अंबेडकर जैसे महानायक थे तो 21वीं सदी में एपीजे अब्दुल कलाम थे जिन्होंने भारत को ऊंचाइयों पर ले गए। इस अवसर पर उन्होंने डॉ अजय विक्रम सिंह द्वारा रचित कविताओं का पाठ भी किया। सेमिनार की अध्यक्षता प्रोफेसर शशि सिंह इतिहास विभाग टीडी पीजी कॉलेज ने किया उन्होंने कलाम की जीवनी और विचारों पर प्रकाश डाला। इसी क्रम में संगोष्ठी के मुख्य वक्ता वंदना दुबे ने डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के संघर्ष एवं उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा की।
समापन सत्र की अध्यक्षता अबिकेश्वर सिंह ने किया एवं बीएचयू प्रोफेसर बाबा लखेन्द्र रहे
प्रोफेसर बाबा लखेन्द्र ने कहा मिसाइल मैन कलाम के व्यक्तित्व को अपने जीवन में उतारने की आवश्यकता है देश की सेवा का जज्बा उनके विचारों से मिल सकता है। इस संगोष्ठी में आए हुए अतिथियों का सम्मान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अब्दुल कादिर खान द्वारा अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिह्न भेंट कर किया गया। कार्यक्रम का संयुक्त संचालन सेमिनार के आयोजन सचिव डॉ अजय विक्रम सिंह एवंम सुमित सिंह ने किया आभार डॉ कमरूद्दीन शेख ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर कॉलेज के सभी सम्मानित प्रवक्तागण में संगोष्ठी के समन्वयक डॉ शाहनवाज खान,डॉ के के सिंह,डॉ जीवन यादव,डॉ ममता सिंह डॉ ज्योत्सना सिंह,डॉ प्रेमलता गिरी, डॉ सतीश दुबे ,डॉ अभिषेक श्रीवास्तव ,डॉ डीएन उपाध्याय डॉ विवेक विक्रम सिंह ,डॉ शिव वचन मौर्य ,अहमदअब्बास खान आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर भारी संख्या में छात्र-छात्राएं, शोधार्थी आदि रहे।
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