भड़काऊ भाषण के मामले में सजायाफ्ता हुए आजम खान, विधायक भी गई रामपुर की सीट हुई खाली
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ हेट स्पीच के मामले में सजा पाने वाले आजम खान को विधायकी से भी हाथ धोना पड़ा है।
अखिलेश यादव की टीम के अहम नेता आजम के खिलाफ ये फैसला उत्तर प्रदेश विधानसभा की तरफ से लिया गया। ये फैसला सपा और अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसके पहले साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश के रामपुर में आजम खान पर हेट स्पीच का मामला दर्ज किया गया था।
हेट स्पीच मामले में 28 अक्टूबर को एमपी-एमएलए की स्पेशल कोर्ट ने आजम खान पर भड़काऊ भाषण देने, समाज में नफरत फैलाने के मामले में दोषी पाया और तीन साल की सजा सुना दी। हालांकि कोर्ट ने आजम खान को सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करने के लिए आठ दिनों की मोहलत दी थी। हालांकि सजा सुनाए जाने के बाद एमपीएमलए कोर्ट ने ही उन्हें नियमों के मुताबिक जमानत दे दी। सपा नेता के खिलाफ साल 2017 के बाद दर्ज लगभग 80 मामलों में यह पहला मौका है जिसमें सजा सुनाई गई है। बाकी सभी मामले न्यायालय में विचाराधीन हैं।
ये कहते हैं नियम
सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा होती है तो उनकी सदस्यता रद हो जाएगी। कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) निरस्त कर दिया था। यह धारा आपराधिक मामले में सजायाफ्ता सांसदों, विधायकों के लिए ढाल की तरह थी। आजम हाल ही में रामपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे। इससे पहले वह रामपुर लोकसभा सीट से सांसद थे। लेकिन 2022 का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने सांसदी छोड़ दी थी। उनकी खाली की गई सीट पर उप चुनाव हुआ तो सपा को बड़ा झटका लगा। बीजेपी ने सीट पर जीत हासिल की।
इन धाराओं में दर्ज था आजम खान पर केस
अप्रैल 2019 में आजम खान के खिलाफ 153-ए (विभिन्न समूहों में दुश्मनी को बढ़ावा), 505 (1) और जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 125 ( चुनाव से जुड़े वर्गों में दुश्मनी भड़काना) के तहत केस दर्ज किया गया था। इसके अलावा आजम खान पर चुनाव अधिकारी अनिल कुमार चौहान को धमकी देने और असभ्य भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप था। इसके अलावा उन पर भड़काऊ बयानबाजी से इलाके के लोगों में अशांति फैलाने का भी आरोप था।
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