मुख्यमंत्री जनपद अयोध्या में श्री राम मंत्र महायज्ञ
रजत जयन्ती महामहोत्सव में सम्मिलित हुए

यह हमारा सौभाग्य है कि हमने भारत की धरती पर जन्म लिया

हमारे ऋषि-मुनियों ने ‘दुर्लभं भारते
जन्म, मानुष्यं तत्र दुर्लभम्’ का उद्घोष किया

संतों की साधना के माध्यम से प्राप्त सिद्धियां स्वार्थ के
लिए न होकर, लोक कल्याण तथा परमार्थ के लिए

मुख्यमंत्री ने सभी को दीपोत्सव तथा दीपावली की शुभकामनाएं दी

अगले डेढ़-दो वर्षों तक अयोध्या में आध्यात्मिक कार्यक्रमों के
आयोजन होने चाहिए, जिससे अयोध्या का प्रकाश देश व दुनिया
के कोने-कोने में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से पहुंच सके
लखनऊ: 12 अक्टूबर, 2022

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज श्रीराम मंत्रार्थ मण्डपम, अयोध्या में आयोजित श्री राम मंत्र महायज्ञ रजत जयन्ती महामहोत्सव में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हमने भारत की धरती पर जन्म लिया है। आज से 5000 वर्ष पूर्व भगवान वेदव्यास जी ने महाभारत महाकाव्य की रचना की थी। आज की दुनिया के विकसित देश व सभ्यताएं उस समय अन्धकार में थे। हमारे ऋषि-मुनियों ने तब ‘दुर्लभं भारते जन्म, मानुष्यं तत्र दुर्लभम्’ का उद्घोष किया था। यह दुर्लभ इसलिए था, क्यांेकि दुनिया अन्धकार में थी और भारत अपने ऋषि-मुनियों के माध्यम से दुनिया को ज्ञान का प्रकाश दे रहा था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि संतों की साधना के माध्यम से प्राप्त सिद्धियां स्वार्थ के लिए न होकर, लोक कल्याण तथा परमार्थ के लिए थीं। इस पीठ की परम्परा भी ऐसी ही रही है। साधना से जो कुछ अर्जित किया, उसे प्रभु के चरणों में अर्पित कर लोक कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भगवान श्री राम के मन्त्र की साधना का ही यह असर है कि इस पीठ की परम्परा के पूज्य महन्त स्वामी जी ने अखण्ड साधना से 13 कोटि श्री राम मन्त्र का जप कर, जो दिव्य अमृत सिद्धि प्राप्त की उसे लोक कल्याण का माध्यम बनाया है। राम मन्त्र के जाप के प्रभाव को पूज्य संतों ने साबित किया है। जब सिद्धान्त और व्यवहार तथा आचार और विचार में समन्वय होता है तो परिणाम भी सामने आते हैं। आज भव्य श्री राम मन्दिर के निर्माण को हम सभी देख रहे हैं। हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि आज अयोध्या धाम में श्री राम मन्त्र महायज्ञ के साथ श्री राम की पावन कथा का आनन्द भी प्राप्त हो रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने सभी को दीपोत्सव तथा दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि अगले डेढ़-दो वर्षों तक अयोध्या में आध्यात्मिक कार्यक्रमों के आयोजन होने चाहिए, जिससे अयोध्या का प्रकाश देश व दुनिया के कोने-कोने में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से पहुंच सके। अखिल ब्रह्माण्ड में अयोध्या का सन्देश जाना है। इसके लिए यह प्रयास होना चाहिए कि हर आश्रम में अखण्ड रामायण का पाठ हो, संकीर्तन के कार्यक्रम हों, कथा के भव्य आयोजन हों।
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