बाजारों में केमिकल युक्त मिलावटी मिठाइयों की भरमार

खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी महज  खानापूर्ति

           गिरजा शंकर गुप्ता ब्यूरों
अंबेडकर नगर।  दीपावली खुशियों का त्योहार है। ऐसे में मिठाई और विशेष व्यंजन लाजिमी है। लेकिन जरा सावधान हो जाइए..! बाजार में मिलावटी मिठाइयों की बाढ़ है। थोड़ी सी लापरवाही हुई नहीं कि नकली खाद्य पदार्थ हमारे पाचन तंत्र को बिगाड़ कर रख देगा।
त्योहारों के इस समय में कहीं आपका स्वाद फीका ना हो जाए इस लिए अंबेडकर नगर खाद्य एवं औषधि विभाग समेत प्रशासन नकली मिठाइयों की बिक्री को लेकर अभी तक चौकन्ना नहीं हुए हैं। 
त्योहारों के आने से पहले ही बाजारों में मिलावटी मिठाइयों का कारोबार शुरू हो गया है। जहां पशुओं के पालन घटने से दूध के दाम बढ़ने से अब दूध से बनने वाली मिठाइयों की जगह पाउडर से मिठाइयां तैयार की जा रही है। साथ ही इन्हें आकर्षित बनाने के लिए केमिकल रंगों का प्रयोग किया जा रहा है।खास बात यह है कि मिलावटी होने के कारण इनके दाम भी ज्यादा नहीं हैं। त्योहार से पहले ऐसी मिठाइयों का स्टॉक गोदामों में तैयार किया जाने लगा है। ज्ञात रहे कि दीपावली के त्योहार पर मिठाइयों की विक्री बढ़ जाती है। लोग त्यौहार के लिए बाजार से मिठाई खरीदते हैं। इसके चलते दीपावली में मिठाइयों की जमकर विक्री भी खूब होती हैं। ऐसे में दूध व नकली दूध से बने अन्य पदार्थों व लेबर के रेट बढ़ जाने के कारण इन दिनों रामनगर के अनेक हलवाई मिठाई बनाने में तेजी लग गये हैं। कुछेक दुकानदार बाहरी हलवाइयों से मिठाई बनवा रहे हैं। यही कारण है कि मिठाई के कारोबार में ज्यादा लाभ कमाने के लिए मिलावट जमकर चल रही है।
वहीं बेसन महंगा होने के कारण मिठाई बनाने वाले सस्ती मैदा व पीले केमिकल युक्त रंग का उपयोग कर मिठाई बना रहे हैं। लड्‌डू व पीली बरफी बनाने में यही मिलावट की जा रही है। एक मिठाई निर्माता ने बताया कि बेसन 70 रुपए किलो मिलता है जबकि मैदा 22 रुपए किलो। ऐसे में मैदा में पीला कैमिकल युक्त रंग मिलाकर उसकी बूूंदी से लड्‌डू तैयार किये जाते हैं। इसके दाम भी कम रखे जाते हैं जिससे ग्राहक इसे खरीदने के लिए तैयार हो जात हैं।वहीं बताया जाता है कि अच्छी किस्म के कुकिंग ऑयल के दाम 140 रुपए किलो तक हैं। ऐसे में सस्ता ऑयल बूंदी, बरफी व सोन पपड़ी बनाने में किया जाता है। घटिया क्वालिटी की रिफाइंड का उपयोग करते समय इनमें माल की क्वालिटी बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के एसेंस की खुशबू डाली जाती है। जिससे लोगों को घटिया क्वालिटी का माल होने का एहसास न हो। जानकारी के अनुसार यह मिठाई ठेके पर काम करने वालों से दुकानदारों को 80 से 100 रुपये किलो तक में मिल जाती है जिसे वह 200 रुपये किलो तक ग्राहकों को देते हैं। ग्राहक भी कम दाम के चलते इनकी खूब खरीदारी करते हैं।

खोवा की जगह सरपेटा व पाउडर का इस्तेमाल

इसी तरह खोवा की मिठाई भी अन्य विकल्पों से तैयार की जा रही है। जिसमें चावल का पावडर, नकली दूध, पाउडर से निर्मित खोआ, क्रीम रहित दूध से बना खोवा आदि का उपयोग मिलावट खोरों द्वारा तैयार किया जा रहा है। इससे तैयार मिठाई 80 रुपए किलो तक थोक में मिल जाती है। इसी मिठाई को कुछ दुकानदार अपनी दुकानों में सजाकर रखते हैं और 200 रुपए किलो तक के भाव पर बेचते हैं। विकास खण्ड रामनगर बाजार में  जैसे -जैसे दीपावली का त्यौहार करीब आ रहा है मिठाईयों की दुकानें सजने लगी हैं। वहीं पर बसखारी बाजार में साकेत जलयोग,बैष्णव मिष्ठान भंडार, जायका रेस्टोरेंट, मिठाई वाला, डीएफसी फोर्ड, मनपसंद अवध मिष्ठान, इत्यादि मिष्ठान भंडार की प्रमुख दुकानें हैं। ऐसे में जिम्मेदार अधिकारी जांच के नाम पर खानापूर्ति ही कर सकता है।अहम सवाल, जांच करने वाले अधिकारी जांच कर इन दुकानदारों को खुला छोड़ देंगे या ग्रामीण क्षेत्र वासियों को होना पड़ेगा केमिकल से बनी मिठाइयों का शिकार।

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