पांव पखार मातृशक्ति के सम्मान को प्रतिष्ठित किया सीएम योगी ने


मुख्यमंत्री ने किया नौ दुर्गा स्वरूपा नौ कुंवारी कन्याओं का विधि विधान

से पूजन


गोरखपुर, 4 अक्टूबर। मातृशक्ति के प्रति अगाध श्रद्धा व सम्मान

गोरक्षपीठ की परंपरा है। इस श्रद्धाभाव की महत्ता को महिला

सशक्तिकरण के विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये व्यावहारिकता के धरातल पर

प्रतिष्ठित करना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ध्येय है। जगतजननी मां

आदिशक्ति की आराधना के विशिष्ट अवसर शारदीय नवरात्र की नवमी

तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीठ की

परंपरा का निर्वहन कर अपने ध्येय को और मजबूती दी।

पांव पखारे, चुनरी ओढाई, आरती उतारी, श्रद्धापूर्वक भोजन करने के बाद

दक्षिणा और उपहार दिया

मंगलवार सुबह नवरात्र की नवमी पर सीएम योगी ने विधि विधान से

कन्या पूजन कर मातृशक्ति की आराधना की। मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की

प्रतीक नौ कुंवारी कन्याओं के पांव पखारे, चुनरी ओढाई, आरती उतारी,

श्रद्धापूर्वक भोजन कराया, दक्षिणा और उपहार देकर उनका आशीर्वाद

लिया। मुख्यमंत्री ने परम्परा का निर्वहन करते हुए बटुक पूजन भी किया।


कन्या पूजन अनुष्ठान में मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री ने मठ के प्रथम तल

पर स्थित भोजन कक्ष में श्रद्धाभाव से परम्परागत रूप से पीतल के परात

में, चांदी के लोटे में भरे जल से नौ कुंवारी कन्याओं के बारी-बारी पांव

धोये। उनके मस्तक पर रोली, चंदन, दही, अक्षत, दूर्वा का तिलक लगाया।


चुनरी ओढ़ाकर, उपहार एवं दक्षिणा प्रदान कर आशीर्वाद लिया। आरती

उतारी। पूजन के बाद इन कन्याओं समेत सौ से अधिक कन्याओं व छोटे

बालकों को मंदिर की रसोई में पकाया गया ताजा भोजन प्रसाद योगी ने

अपने हाथों से परोसा। नौ कन्याओं के अतिरिक्त सैकड़ों की संख्या में

पहुंची बालिकाओं और बटुकों को भी श्रद्धापूर्वक भोजन कराकर उपहार व

दक्षिणा दिया गया।


कन्या पूजन कार्यक्रम में योगी बाबा का सानिध्य पाने के लिए नन्हीं

बालिकाओं व बटुकों का उत्साह, उमंग देखते ही बन रहा था। सत्कार और

स्नेह के भाव से मुख्यमंत्री ने एक-एक कर नौ कन्याओं व बटुक भैरव के

पांव पखारे और पूजन किया। इस दौरान सीएम के हाथों दक्षिणा मिलने से

सभी काफी प्रफुल्लित थे। पूजन के बाद भोजन परोसते समय सीएम योगी

बच्चों से निरंतर संवाद और ठिठोली भी करते रहे। यह भी ख्याल रखते

रहे कि किसी भी बालक-बालिका की थाली में भोजन प्रसाद की कोई कमी

न रहे। इसे लेकर वह मंदिर की व्यवस्था से जुड़े लोगों को निर्देशित करते

रहे।

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