- छठ महापर्व के चौथे दिन श्रद्धालुओ ने उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ-साथ छठ मईया की विधि-विधान के साथ की पूजा-अर्चना
- संतान के अच्छे स्वास्थ्य, सफलता, दीर्घायु और मनोकामना पूर्ति के लिए छठ मईया का व्रत किया जाता है - प्रोफेसर उषा कुमारी
गया, बिहार। विवेक जैन।
गया में छठ पर्व को बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। छठ पर्व के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया और छठ माता की पूजा-अर्चना की। वजीरगंज गया के रहने वाले प्रोफेसर शैलेन्द्र कुमार सिंह ने अपनी पत्नी प्रोफेसर उषा कुमारी के साथ उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। बताया कि छठ का पर्व देश ही नहीं दुनिया के कई देशों में मनाया जाता है। यह सूर्य उपासना का सबसे बड़ा पर्व होता है। कहा कि यह पर्व चार दिनों का होता है और आज इसका चौथा दिन है। इस पर्व पर साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। तीसरे दिन संध्या के समय डूबते सूर्य को और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। प्रोफेसर उषा कुमारी ने बताया कि छठ माता बच्चों की रक्षा करने वाली देवी मानी जाती है। संतान के अच्छे स्वास्थ्य, सफलता, दीर्घायु और मनोकामना पूर्ति के लिए छठ मईया का व्रत किया जाता है। बताया कि शिशु के जन्म के छह दिनों बाद इन्हीं देवी की पूजा की जाती है। नालंदा निवासी अश्विनी कुमार बताया कि उनकी पत्नी वजीरगंज गया की रहने वाली है और हर वर्ष पूरे विधि-विधान के साथ सूर्य देव और छठ मईया की पूजा अर्चना करती है। बताया कि मान्यताओं के अनुसार छठ देवी सूर्य देव की बहन है। मार्कण्ड़ेय पुराण में बताया गया है कि सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया है। इस छठे अंश को मातृ देवी, ब्रहमा जी की मानस पुत्री, षष्ठी देवी, छठ मईया आदि अनेक नामों से जाना जाता है। पुराणों में इन्ही देवी को कात्यायनी मॉ कहा गया है, जिनकी नवरात्रों में पूजा की जाती है। बताया कि छठ मईया का नियमानुसार व्रत रखने और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने से हम स्वस्थ रहते है और हम पर मां का विशेष आर्शीवाद बना रहता है।
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