आंखों के स्वास्थ्य के बारे में निम्न तथ्यों को जानना आवश्यक हैं
आपकी आंखें दुनिया देखने के लिए आपकी खिड़कियां हैं। यह आंखें ही हैं जो आपकी आत्मा को ब्रह्मांड की सुंदरता को अपने अंदर समाने देती हैं, आपको शब्दों का उपयोग किए बिना बात करने की अनुमति देती हैं, और बिना ठोकर खाए दुनिया में अपना रास्ता खोजने में मदद करती हैं।
इस सबके बावजूद भी हम कितनी बार इसकी भलाई के बारे में नहीं सोचते हैं?
इस सबके बावजूद भी हम कितनी बार इसकी भलाई के बारे में नहीं सोचते हैं?
महामारी के पिछले दो वर्षों ने हमारी आंखों पर और भी अधिक दबाव डाला है। रातों को जागकर ऑनलाइन काम, पढ़ाई और खेलने से हमारी आंखों पर अधिक बोझ उठाना पड़ा है। स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप और टेलीविजन तक, हम काम करने, मनोरंजन करने और दूसरों से बात करने के लिए घंटों स्क्रीन को घूरते रहे हैं।
आंखों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए
अध्ययनों से संकेत मिलता है कि लॉकडाउन के दौरान स्क्रीन पर अत्यधिक समय बिताने के कारण 27.5 करोड़ भारतीयों ने महसूस किया कि उनकी आंखों की रोशनी कमजोर हो गयी है। प्रति यूज़र औसत स्क्रीन देखने का समय प्रतिदिन 6 घंटे 36 मिनट था, जो हमारे दिन का एक तिहाई समय है। शोध से पता चलता है कि 88 प्रतिशत भारतीय अब सोने से पहले फोन का उपयोग करते हैं, और हम में से 59 प्रतिशत अब रात 11 बजे के बाद ही सोते हैं। इस सबसे पता चलता है कि हम अपनी हथेलियों में छोटी स्क्रीन से चिपके रहकर अधिक समय बिताते हैं, जिससे हमारी आँखों पर और भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
भारत में एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि सोशल मीडिया पर दिन में 6 घंटे से अधिक समय बिताने वाले अधिकांश लोगों की आंखों में तनाव, धुंधली दृष्टि, डिप्लोपिया और शुष्क आंखों सहित विभिन्न लक्षणों का खतरा है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान लगभग 64-90 प्रतिशत कंप्यूटर यूज़र्स में इन लक्षणों को देखा गया है।
छोटे बच्चों के लिए भी यह आसान नहीं रहा है। इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि COVID युग में, 36.9 प्रतिशत भारतीय बच्चे 5 घंटे से अधिक समय तक डिजिटल उपकरणों का उपयोग कर रहे थे। रोजाना एक घंटे से अधिक समय तक वीडियो गेम खेलने के लिए फोन के लंबे समय तक इस्तेमाल ने समस्या को और बढ़ा दिया है। अध्ययन में पाया गया कि 50.23 प्रतिशत बच्चे डिजिटल आई स्ट्रेन से पीड़ित थे। अध्ययन में कहा गया है कि लगातार स्मार्टफोन के इस्तेमाल से पलक झपकने की दर में कमी आ रही है, जिससे आंखों से संबंधित समस्याएं हो रही हैं।
पलक झपकाना है जरुरी!
पलक झपकने की दर में कमी, या सीधे शब्दों में कहें तो, पर्याप्त रूप से पलक न झपकाना आगे चलकर सम्पूर्ण आँखों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा एक मिनट में 15 बार पलक झपकने की दर को सामान्य माना जाता है। आँखों से कम दूरी पर स्क्रीन या मॉनिटर पर ध्यान केंद्रित करते समय, हम एक मिनट में केवल 5 से 7 बार ही अपनी पलक झपकाते हैं। चूंकि आंखों की सतह पर आंसू बनने के लिए पलक झपकाना महत्वपूर्ण है, इसलिए कम पलक झपकने से आंखें शुष्क हो जाती हैं और आंखों में थकान जैसी अन्य समस्याओं का खतरा होता है। जब हम काम या खेलने के लिए लंबे समय तक अपनी आंखों को स्क्रीन पर केंद्रित रखते हैं तो आंखों की मांसपेशियां भी तनावग्रस्त हो जाती हैं। यदि आप लाली, खुजली, आंखों में थकान या धुंधली दृष्टि का अनुभव कर रहे हैं, तो डिजिटल उपकरणों का निरंतर उपयोग घातक हो सकता है!
केवल आपकी आँखों के लिए
हालांकि, अभी भी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। अपने व्यस्त अध्ययन या काम के शेड्यूल के बावजूद भी अपनी आंखों को स्वस्थ रखने के लिए सरल और प्रभावी तरीके मौजूद हैं। डिजिटल आई स्ट्रेन को रोकने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा 20-20-20 नियम तैयार किया गया था। नियम बहुत सरल है - हर 20 मिनट में एक बार अपनी आँखें स्क्रीन से हटा लें और 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकंड के लिए देखें। इससे आपकी आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है और बार-बार पलक झपकाने से शुष्क आंखों की स्थिति से भी राहत मिलती है। इसलिए, भले ही आपको अपने लैपटॉप पर लगातार 6 से 8 घंटे काम करना पड़े, 20-20-20 नियम आपकी आंखों को अच्छी स्थिति में रखने में मदद करता है। यह करना बहुत ही आसान है।
आपकी आंखें आपकी सबसे कीमती संपत्ति हैं, और इन्हें यूं ही नहीं छोड़ा जाना चाहिए। यही कारण है कि दृष्टि से संबंधित मुद्दों पर वैश्विक रूप से ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रत्येक वर्ष अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को विश्व दृष्टि दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष, विश्व दृष्टि दिवस का थीम 'लव योर आइज़' है! अपनी आँखों को सही रखने की जिम्मेदारी हमारी है । 20-20-20 तकनीक जिसे आप घर पर आसानी से कर सकते हैं, के अलावा नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करवाकर उनकी अच्छी देखभाल करना भी अनिवार्य है। आइए इस विश्व दृष्टि दिवस पर, ध्यान से पलक झपकाकर, डिजिटल उपकरणों से समय-समय पर ब्रेक लेकर और आंखों की रोशनी के लिए अच्छे विटामिन-ए युक्त खाद्य पदार्थ खाकर अपनी आंखों की देखभाल करने का संकल्प लें। इस विश्व दृष्टि दिवस पर आई हॉस्पिटल्स जैसे विश्वसनीय संस्थान में आंखों की जांच कराने और अपनी आंखों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए वास्तव में यह एक सक्रिय कदम होगा।
बदलती दुनिया में, हम काम करने, खेलने, बात-चीत करने और मनोरंजन करने के लिए अपनी आंखों पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं। आइए सुनिश्चित करें कि वे दिन भर चमकती रहें!
इस विश्व दृष्टि दिवस, आइए संकल्प लें
• अपनी आंखों की जांच कराने का
• अंधेपन को रोकने का
• अपनी आँखों से प्यार करने का
टालने योग्य अंधेपन से लड़ने के लिए इस पहल में शामिल हों।
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