बरसठी। भक्त की रक्षा के लिए भगवान लेते हैं अवतार - प्रशांत भूषण महाराज
श्रीमद्भागवत कथा सुनने के लिए चौथे दिन उमड़ा भक्तों का जनसैलाब
बरसठी,जौनपुर। विकासखंड बरसठी के खरगापुर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन कथावाचक प्रशांत भूषण जी महाराज ने हिरण्यकश्यप और प्रहलाद के कथा को सुनाकर भक्तों का मन मोह लिया।
कथावाचक ने कहा कि पापियों को नाश करने के लिये भगवान अवतार लेते हैं। आगे उन्होंने कहा कि हिरण्यकश्यप अपने भाई की मौत का बदला भगवान विष्णु से लेने के लिए ब्रह्मा की तपस्या का निर्णय लिया। वह एक वट के नीचे बैठ गया, जहां देव गुरु वृहस्पति तोता का रूप धारण कर वृक्ष पर बैठ गए और नारायण नाम का रट लगाने लगे। इससे परेशान होकर हिरण्यकश्यप तपस्या छोड़कर घर आ गया। पत्नी ने पूछा कि आप तपस्या छोड़कर क्यों चले आए तो तोता की बात बताई। इसके बाद उसकी पत्नी भी भगवान के नाम का जप किया। जिससे उसका गर्भ ठहर गया और भक्त प्रहलाद के रूप में बालक का जन्म हुआ। उक्त बातें कथावाचक प्रशांत भूषण महाराज जी ने बरसठी ब्लॉक के खोइरी खरगापुर गांव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन रविवार को हिरण्यकश्यप और भक्त प्रह्लाद की कथा का श्रद्घालुओं को रसपान कराते हुए सुनाया।
उन्होंने कहा कि जब प्रह्लाद गुरुकुल से घर आए तो हिरण्यकश्यप ने पूछा कि क्या शिक्षा ग्रहण किए हो। प्रहलाद भगवान का गुणगान करने लगे। इससे हिरण्यकश्यप क्रोधित हो उठा और कहा कि तुम मेरे शत्रु का गुणगान कर रहे हो लेकिन प्रहलाद ने भगवान की आराधना नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप प्रह्लाद पर अत्याचार करता रहा लेकिन प्रहलाद को भगवान बचाते रहे। एक दिन हिरण्य कश्यप ने प्रह्लाद से कहा कि तुम्हारे भगवान कहां हैं। प्रह्लाद ने जवाब दिया कि कण-कण में हैं और इस खंभे में भी हैं। इतना सुनते ही हिरण्यकश्यप ने तलवार निकाल कर खंभे पर वार कर दिया। तब नरसिंह के रूप में भगवान प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध कर देते हैं। इस प्रकार भगवान पापी का वध कर भक्तों का मान रखते हैं। इसके पूर्व मुख्य यजमान उमाशंकर शुक्ला ने कथावाचक का माल्यार्पण कर स्वागत किया और पूजन अर्चन कराया। इस मौके पर अशोक शुक्ला,योगेश शुक्ला(बाबाजी), रमेश शुक्ला, अवधेश शुक्ला(रामु), आशीष शुक्ला,आदि लोग उपस्थित रहे।
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