मुंगराबादशाहपुर। सपा से उमाशंकर चौरसिया की दावेदारी बनी चर्चा,बढ़ी सरगर्मी

आगामी निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी से पालिकाध्यक्ष पद की दावेदारी से उमाशंकर चौरसिया ने बढ़ाई चुनावी सरगर्मी

मुंगराबादशाहपुर,जौनपुर। नगर में आगामी निकाय चुनाव को लेकर आए दिन दिन एक नए चेहरे अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं और उसी कड़ी में उमाशंकर चौरसिया ने समाजवादी पार्टी से पालिकाध्यक्ष पद के लिए अपना ताल ठोक दिया है चुनावी मैदान में जिससे चुनावी सरगर्मी बनाने के साथ ही चर्चाओं में जनता के बीच आ गए हैं।


आपको बतातें चलें कि मुंगराबादशाहपुर नगर निकाय चुनाव जैसे ही नजदीक आता जा रहा है वैसे ही एक नई दावेदारी और एक नया चेहरा सामने आ रहा है। इससे पूर्व भाजपा से शिवगोविंद साहू, उमाशंकर गुप्ता, राजकुमार जायसवाल,कपिलमुनि गुप्ता,राजेश श्रीवास्तव व राजीव केशरी ने भी अपनी दावेदारी ठोंकी है। वहीं समाजवादी पार्टी से राजबली यादव व सुरेश सोनी ने पालिकाध्यक्ष पद के लिए अपनी अपनी दावेदारी ठोंकी। दूसरी ओर सपा से ही उमाशंकर चौरसिया ने भी पालिकाध्यक्ष के लिए अपनी दावेदारी पेश कर चुनावी मैदान में उतर गए। जो चुनावी सरगर्मी फिर बढ़ गई है,वहीं अच्छी छवि होने के साथ ही व्यापारी वर्ग में भी इनकी पकड़ बनी हुई है तो दूसरी पार्टियों के खेमे में यह जानकर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है। क्यूंकि इससे पूर्व उमाशंकर चौरसिया विहिप के नगर उपाध्यक्ष पद पर थे और समाजवादी पार्टी ने अपनी चाल फेंकी और उमाशंकर चौरसिया को अपने खेमे में शामिल कर लिया। इसी कारण नगर निकाय चुनाव में सपा से पालिकाध्यक्ष पद के लिए उमाशंकर चौरसिया द्वारा दावेदार ठोंकते ही अन्य पार्टियों के खेमे में हलचल मच गई। अब देखना यह है कि नगर पालिका की सीमा विस्तार बाद जहाँ पिछड़ी जातियों की संख्या बढ़ी हुई है वहीं उमाशंकर सपा से टिकट मिलने पर क्या टिकट हासिल कर पाएंगे?फिलहाल यह सब भविष्य के गर्त में है, लेकिन उमाशंकर चौरसिया ने अन्य प्रत्याशियों के खेमे में हलचल जरूर मचा दिया है। अब तक मुंगराबादशाहपुर निकाय चुनाव में ज्यादातर भाजपा का ही दबदबा रहा है और सपा दूसरे नम्बर पर रही है जैसे जैसे निकाय चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे ही चर्चाओं की सरगर्मी बढ़ती जा रही है। वर्तमान समय में देखें तो पालिकाध्यक्ष शिवगोविंद साहू से जनता की नाराजगी जाहिर है। अब देखना यह है कि भाजपा सपा व बसपा किस पर अपना दांव खेलती है हलाकि बसपा को कमतर नहीं आंका जा सकता है क्यूंकि इस बार यह छुपा रुस्तम साबित हो सकता है और यह निकाय चुनाव काफी हद तक जटिल होगा चुनाव जीतना,क्यूंकि कई गांव ने सीमा विस्तार का विरोध किया है जिसका असर चुनाव में जरूर दिखाई देगा। वहीं सीमा विस्तार से चुनाव लड़ने वालों को खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है।

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