महा दानी बलि ने क्या माता लक्ष्मी को बंदी बनाया था ? जानते हैं डॉ सुमित्रा जी से
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री
डॉ सुमित्रा अग्रवाल
कोलकाता
तीन पग में भगवान विष्णु ने बामन अवतार लेकर, न केवल राजा बलि को सर्वश्रेठ दानी दिखाया बल्कि उसके अभिमान को भी चकनाचूर किया।
राजा बलि जहां एक तरफ बहुत दानी थे वही वे दुसरी तरफ बहुत अभिमानी भी थे। उन्होंने न केवल देवताओ को बल्कि माता लक्ष्मी जी को भी बंदी बना लिया था। इस कथा का उल्लेख 'श्रीसनत्कुमार-संहिता' में इस प्रकार हुआ है एक बार त्रयोदशी से अमावस्या की अवधि के बीच जब वामन भगवान् ने दैत्यराज बलि की पृथ्वी को तीन पगों में नाप लिया, तो राजा ने उनसे प्रार्थना की- "हे प्रभु! मुझे जो कुछ आपने दिया है, इसके अतिरिक्त मैं कुछ और नहीं चाहता, लेकिन संसार के लोगों के कल्याण के लिए मैं एक वरदान मांगता हूं। आपकी शक्ति है, तो दे दीजिए।"
भगवान् वामन ने पूछा- 'क्या वरदान मांगना चाहते हो राजन्!' दैत्यराज बलि बोले- 'प्रभु! आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरी संपूर्ण पृथ्वी नाप ली है, इसलिए जो व्यक्ति मेरे राज्य में चतुर्दशी के दिन यमराज के लिए दीपदान करे, उसे यमयातना नहीं होनी चाहिए और जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीपावली करे, उनके घर को लक्ष्मीजी कभी न छोड़ें।
राजा बलि की प्रार्थना सुनकर भगवान् वामन बोले- " मेरा वरदान है कि जो चतुर्दशी के दिन नरक के स्वामी यमराज को दीपदान करेंगे, उनके सभी पितर लोग कभी भी नरक में न रहेंगे और जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीपावली का उत्सव मनाएंगे, उन्हें छोड़कर मेरी प्रिय लक्ष्मी अन्यत्र न जाएंगी।" भगवान् वामन को दिए इस वरदान के बाद से ही नरक चतुर्दशी का पूजन और दीपदान का प्रचलन आरंभ हुआ, जो आज तक चला आ रहा है।
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