17 वर्ष पूर्व उतरौला में हुए दंगा पीड़ितों का छलका दर्द। आपको बता दें कि कस्बा उतरौला में 26 मार्च वर्ष 2005 को होली जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा और आगजनी की घटना घटित हुई थी।
घटना में उपद्रवियों द्वारा, तमाम दुकानों, पुलिस के सरकारी वाहनों तथा मोटरसाइकिल को क्षतिग्रस्त कर आग के हवाले किया गया था। तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक बलराम सरोज द्वारा, थाना उतरौला पर निजी दुकानों समेत तीन सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम सहित विभिन्न गंभीर धाराओं में 59 अभियुक्तों पर मुकदमा पंजीकृत किया गया था। विवेचना के दौरान छह अभियुक्तों का नाम प्रकाश में लाया गया तथा कुल 65 अभियुक्तों के विरुद्ध 15 मई वर्ष 2005 को आरोप पत्र प्रेषित किया गया था। इस प्रकरण में न्यायालय एफटीसी प्रथम द्वारा शारदा प्रसाद, नंदलाल, रक्षा राम, सहदेव, सुरेश, राजेंद्र, अतुल कुमार, सुनील कुमार, कपिल कुमार, राजेश, दुर्गेश, विश्वनाथ गुप्ता, कौशल कुमार, अरुण कुमार, ओमप्रकाश, दिलीप, बब्बू मिस्त्री, अब्दुल तौव्वाब, मुस्तफा, शाहिद अली, जवाहिर, असलम, कलामुद्दीन ,मोहम्मद इबरार ,मोहम्मद शाहिद, मोहम्मद कैफ, जमाल अहमद, अब्दुल मजीद, मोहम्मद हारुन, अमरनाथ गुप्ता, अनूप गुप्ता, रामजी गुप्ता, ध्रुव कुमार, नाजिम, राजेश उर्फ छोटू, सतीश कुमार गुप्ता, सुमेर चंद्र गुप्ता, नसीरुद्दीन, शब्बीर अहमद, आमिर कबड़िया, एजाज अहमद को न्यायालय द्वारा दोषी मानते हुए 20 अक्टूबर को दोष सिद्ध किया गया। तथा दोषी पाए गए 26 अभियुक्तों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया। शेष पांच अभियुक्त अरुण कुमार, राजेश उर्फ छोटू, अतुल कुमार गुप्ता, सुमेर चंद्र गुप्ता, असलम आज न्यायालय पर हाजिर नहीं हुए हैं। गैरहाजिर रहे अतुल कुमार गुप्ता को उतरौला पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
उक्त प्रकरण में 31 अक्टूबर को न्यायालय द्वारा अभियुक्तों को सजा सुनाई जाएगी। 17 साल बाद न्यायालय द्वारा आए फैसले से दंगा पीड़ितों के चेहरे पर चमक आ गई। दुकानदारों को मुआवजा मिलने की उम्मीद जगी है। हिंदुस्तान रेडीमेड के प्रोपराइटर अब्दुल मजीद ने बताया कि दंगे में दंगाइयों ने उनकी रेडीमेड कपड़े की दुकान को जला दिया था जिससे उन्हें तकरीबन दस लाख रुपए का नुकसान हुआ था। लेकिन उन्हें सिर्फ पचीस हजार रुपए मुआवजा मिला। उस वक्त के रॉयल गारमेंट्स के मालिक परवेज अहमद बताते हैं कि कारगिल मार्केट में उनकी रेडीमेड की दुकान थी जो दंगे में जला दी गई। दुकान में रखा पांच लाख रुपए का कपड़ा जलकर खाक हो गया। मुआवजा सिर्फ एक ही मिला। राजेश खुराना ने बताया कि उनके क्लॉथ स्टोर में लगभग चालीस लाख रुपए के कपड़ों के थान मौजूद थे। दंगाइयों द्वारा दुकान में आग लगाने के बाद कपड़ा जलकर राख होने के साथ ही दुकान भी क्षतिग्रस्त हो गया था। बारह लाख पचास हजार रूपए ही मुआवजा दिया गया। सुकुमार का किराने का दुकान भी दंगाइयों ने आग के हवाले कर दिया था। जिसमें रखा लगभग छः लाख रुपए का सामान भी जलकर स्वाहा हो गया था। दो लाख पचास हजार रुपए मुआवजा मिलने से वह भी असंतुष्ट हैं। छोटे बड़े सभी दुकानदारों में कुल 42 लाख मुआवजा वितरित किया गया था। अल्पसंख्यक समुदाय के दुकानदारों में तत्कालीन विधायक अनवर महमूद के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त है कि उन्होंने उचित मुआवजा नहीं दिलवाया था।
असगर अली
उतरौला
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