वृन्दावन। छटीकरा रोड़ स्थित श्रीकृष्ण शरणम कॉलोनी में साहित्य सेवा मंडल के कार्यालय पर द्वारिका शारदापीठ के शंकराचार्य व प्रख्यात संत स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के आकस्मिक निधन पर शोक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें मंडल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व संयोजक पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज सनातन धर्म व अध्यात्म जगत के प्रमुख स्तंभ थे।उन्होंने धर्म व अध्यात्म के अलावा लोक कल्याण एवं राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम में भी बढ़ चढ़कर भाग लिया था।
छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व उप निदेशक (सूचना एवं जनसंपर्क) टी.पी. त्रिपाठी व वरिष्ठ साहित्यकार सत्येंद्र जोशी ने कहा कि द्वारिका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज की सनातन धर्म के लिए एक नहीं अपितु अनेकों देनें हैं। उनका अकस्मात संसार से चला जाना सनातन धर्म के लिए अपूर्णनीय क्षति है।
भक्ति मन्दिर के सेवायत डॉ. सहदेव कृष्ण चतुर्वेदी व ब्रज साहित्य सेवा मंडल के महामंत्री डॉ. राधाकांत शर्मा ने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद महाराज संत होने के साथ-साथ कुशल लेखक भी थे। उनके द्वारा लिखित अनेकों ग्रंथ व पुस्तकें हिन्दी साहित्य जगत की बहुमूल्य निधि हैं।जिनका विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है।
इस अवसर पर श्री हित परमानंद शोध संस्थान के अध्यक्ष आचार्य विष्णुमोहन नागार्च,रस भारती संस्थान के निदेशक डॉ. जयेश खंडेलवाल,आचार्य ईश्वरचंद्र रावत,आचार्य राम निहोर त्रिपाठी, ब्रह्म कीर्ति रक्षक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित जुगेंद्र भारद्वाज, विष्णुकांत भारद्वाज बृजवासी भैया आदि ने भी अपने विचार व्यक्त कर महाराज श्री को अपनी शोक श्रद्धांजलि अर्पित की।संचालन डॉ. राधाकांत शर्मा ने किया।
राजकुमार गुप्ता
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