पेड़ पौधे का वास्तु से संबंध - जानते हैं सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से
वास्तु शास्त्री सुमित्रा अग्रवाल
इंटरनेशनल वास्तु ऐकेडमी
सिटी प्रेसिडेंट कोलकाता
हम जितना ज्यादा पेड़ पौधे काटेंगे ये देखने में आएगा की उतनी ही शहर की आबादी बढ़ेगी। ८४लाख योनिओं में से एक पेड़ की भी योनि होती है, पेड़ो को काटने से रोकने के लिए कई सख़्त कानून आए हैं।
डब्लूएचो (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन) के एक आंकड़े में ये बताया गया है की विश्व के ८० प्रतिसत लोग हर्बल दवाओं पर निर्भर है। डब्लूएचो का मन्ना है की करीब २१००० तरह के पेड़ो को दवाओ के रूप में उपयोग लाया जा सकता है। डेवलप्ड देश जैसे की अमेरिका में २५% दवाए पोधो से बनी है, भारत और चीन जैसे डेवलपिंग देशो में ८०% दवाये पोधो से बनती है। इतना सब कुछ के बाद भी रिसर्च में कमी है। १९९९ में डबलूएचओ ने तीन वॉल्यूम की मोनोग्राफ बनाई थी,हर्बल दवाओ की। होम्योपेथी में पूरे पौधे से दवा बनाई जाती है, एलोपैथी वाले अल्कलॉइड्स और एक्टिव प्रिंसिपल्स को निकाल कर दवा बनाते हैं। आयुर्वेद को ज्योतिष से भिन्न नहीं किया जा सकता। बृहतसंहिताकार वराहमिहिर ने पेड़ों को लेकर लिखा है। कौन सा पेड़ लगाएं और कौन सा नहीं, किस दिशा में लगाएं और किस दिशा में नहीं।
पेड़ की योनि एक कष्ट दायक योनि है , ही हे जगह पे खड़े रहने की , कोई पत्ता तोड़ता है, कोई फल, कोई फूल, कोई गोंद निकलने के नाम पे लहू लुहान करता है, कोई टहनियां तोड़ता है। सबसे प्रताड़ित योनि पेड़ो की होती है। पेड़ो के प्रति संवेदनसील हो, उन्हें अनावश्यक कष्ट न दें। तुलसी, धतूरा की ओरा बहुत अधिक है। तुलसी के वास्तु दोषों का निवारण करती है। औषधि गुणों वालो पेड़, पौधे सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। दूध वाले, काँटेदार पौधों को लगाने की मनाई है।
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