वैज्ञानिक युग की देवी माँ कात्यायनी को ब्रज की गोपियों ने क्यों साधा था - जानते हैं सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्राजी से
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल
इंटरनेशनल वास्तु अकडेमी
सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता
दुर्गा-पूजामें प्रतिदिन का वैशिष्ट्य महत्व है और हर दिन एक देवी का है। नवरात्रि के ९ दिनों में मां दुर्गा के ९ रूपों की पूजा होगी। १ अक्टूबर षष्ठी को कात्यायनी माता की पूजा होगी।
महर्षि कात्यायन का माता कात्यानी से क्या सम्बन्ध है
जहाँ एक तरफ पुरुष संतान की होड़ मची है वहीं दुसरी ओर बहुत से ऐसे दांपत्य हैं जो भगवन की पूजा आराधना करके पुत्री के माता पिता बनने की इक्छा रखते हैं। ऐसे ही कात्या गोत्र में जन्मे प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन थे। पुत्री की प्राप्ति के लिए उन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना ,तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्ना होकर मां भगवती ने उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। यह देवी कात्यायनी कहलाईं। इनका गुण
देवी की विशिष्टता
अभी के आधुनिक दौर में जहाँ हर बात में तकनीकीकरण की बात होती है और हर देश का काफी पैसा शोध कार्य में खर्च होता है, ऐसे दौर की देवी हैं माँ कात्यायिनी।
ब्रज की गोप्पीयो ने युगो युगो पहले कात्यायिनी माता की आराधना क्यों की थी?
भगवन कृष्णा को पति के रूप में पाने की इक्छा हर गोपी की थी। कृष्णा के सानिध्य को पाने के लिए गोपियाँ साधना करती थीं। इन्हें कात्यायनी माता की। यह पूजा कासलंदी यमुना के तट पर की गई थी। माँ कात्यायिनी ब्रजमंडल की अधधष्ठािी देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
माँ का स्वरुप
माँ की इस छवि की कल्पना करें,इनकी चार भुजाएं हैं।दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचेवाला हाथ वर मुद्रा में, मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है, नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है। इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्या है। माँ स्वण के समान चमकीली हैं। इनका वाहन सिंह है।
पूजन की विशेष सामग्री
षष्ठीको पुष्प तथा पुष्पमालादि चढ़ाएं। माँ को पीले फूल, कच्ची हल्दी की गांठ और शहद अर्पित करें। पीला प्रसाद चढ़ाएं।
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