वृन्दावन।दुसायात क्षेत्र स्थित सूरदास आश्रम (श्यामा कुंज) में रस भारती संस्थान के तत्वावधान में 19 वीं शताब्दी के प्रख्यात वाणीकार गोपाल राय द्वारा लिखित ग्रंथ "वृन्दावन धामानुरागावली" का लोकार्पण प्रख्यात धर्माचार्य डॉ. अच्युत लाल भट्ट,वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, डॉ. जयेश खंडेलवाल व आचार्य विष्णु मोहन नागार्च आदि ने ठाकुर श्यामा वल्लभ मन्दिर के समक्ष किया।
लोकार्पित ग्रंथ "वृन्दावन धामानुरागावली" ग्रंथ के संपादक व रस भारती संस्थान के निदेशक डॉ. जयेश खंडेलवाल ने कहा कि गोपाल राय श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय के प्रख्यात वाणीकार थे।वह मूलत: श्रीधाम वृन्दावन के मनीपाड़ा क्षेत्र के निवासी थे।उनकी काव्य प्रतिभा से प्रभावित होकर पटियाला नरेश अजीत सिंह ने उन्हें अपने राज्याश्रय में बुला लिया था।उनके जीवन का अंतिम समय श्रीधाम वृन्दावन में हीं व्यतीत हुआ।
ब्रज साहित्य सेवा मंडल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि राधावल्लभीय वाणीकार गोपाल राय ने तमाम ग्रंथों का प्रणयन किया था।जिनमें से उनके 45 ग्रंथों की पांडुलिपियों को रस भारती संस्थान ने खोज निकालकर उनके प्रकाशन का संकल्प लिया हुआ है। जो कि अति प्रशंसनीय है।
श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य विष्णु मोहन नागार्च ने कहा कि लोकार्पित ग्रंथ "वृन्दावन धामानुरागावली" 800 पृष्ठों का वृहद ग्रंथ है।जिसमें प्राचीन वृन्दावन का इतिहास और संस्कृति का समावेश है।इस ग्रंथ का मुद्रण दिल्ली के प्रख्यात राधा प्रेस के स्वामी वंशीवल्लभ शर्मा ने किया है।यह ग्रंथ शोधार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।
प्रमुख शिक्षाविद् डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा ने कहा कि श्रीराधावल्लभीय वाणीकार गोपाल राय वंशानुगत कवि थे।उनके साहित्य सृजन से श्रीराधावल्लभ सम्प्रदाय अत्यधिक समृद्ध हुआ है।
लोकार्पण कार्यक्रम में सूरदास आश्रम की प्रमुख ट्रस्टी रतनी बाई, डॉ. श्यामबिहारी खंडेलवाल,प्रख्यात भजन गायक सुरेश चन्द्र शर्मा (हित बावरा),महंत मधुमंगल शरण शुक्ल,युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा,लक्ष्मी नारायण तिवारी,गोपाल शरण शर्मा, डॉ. राजेश शर्मा,हरिवंश खंडेलवाल,कृष्णा खंडेलवाल,वंशीवल्लभ शर्मा (राधा प्रेस,दिल्ली) ,श्रीदामा शास्त्री,प्रमुख समाजसेवी गोवर्धन दास अग्रवाल आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा ने किया
राजकुमार गुप्ता
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