मुंगराबादशाहपुर। राम की खड़ाऊं लेकर अयोध्या लौटे भरत,श्रोता हुए भावविभोर

जौनपुर,मुंगराबादशाहपुर। नगर के गुड़ाहाई में चल रही ऐतिहासिक रामलीला में गुरुवार को कलाकारों की रामलीला दर्शकों को आकर्षित कर रही है। लीला मंचन के क्रम में कलाकारों ने केवट प्रसंग व राम-भरत मिलाप की लीला का मनमोहक मंचन किया तो दर्शक भाव-विभोर हो गए। लीला मंचन की शुरूआत केवट प्रसंग से, तो समापन राम-भरत मिलाप के मार्मिक दृश्यों के मंचन से हुआ।

लीला के क्रम में भगवान श्रीराम निषादराज का आतिथ्य ग्रहण करने के बाद आगे बढ़ते हैं। अगले दृश्य में गंगा का किनारा होता है, केवट का परिवार प्रसन्नता से नृत्य कर रहा होता है। भगवान श्रीराम इस बीच माता सीता व लक्ष्मण के साथ प्रवेश करते हैं। केवट से कहते हैं नाव ले आओ! बार-बार कहने पर भी जब केवट नाव पर चढ़ाने को तैयार नहीं होता तो श्रीराम कारण पूछते हैं। केवट कहता है पद कमल धोइ चढ़ाइ नाव न नाथ उतराई चहौं...मैंने सुना है आपके चरण रज में वो जादू है कि पत्थर में भी जान डाल देती है। राम कहते हैं हे केवट जिस प्रकार तुम्हारा संशय दूर हो वही करो। फिर केवट द्वारा भगवान श्रीराम के पांव पखारने के दृश्य ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अगले दृश्य में अयोध्या का माहौल भगवान श्रीराम के विरह में शोकाकुल है। इस बीच महाराज दशरथ अपने प्राण त्याग देते हैं। अगले दृश्य में भरत और शत्रुहन का अयोध्या में प्रवेश होता है। भरत जब भैया राम व लक्ष्मण के माता सहित वनवास व पिता दशरथ के मरण का समाचार पाते हैं तो वह दुखी हो जाते हैं।
गुरू वशिष्ठ से कहते हैं कि गुरुवर मुझे राज्य नहीं चाहिए मेरा कल्याण तो भैया राम की चाकरी में है। भरत-शत्रुहन भगवान श्रीराम को मनाने के लिए निकलते हैं। अगले दृश्य में चित्रकूट का दर्शन होता है। यहां राम, माता सीता व लक्ष्मण के साथ विराजमान हैं। एक भील आता है और भरत जी के सेना के साथ आने की जानकारी देता है।
लक्ष्मण को संशय होता है, राम उन्हें समझाते हैं। इस बीच भरत पहुंचते हैं और भगवान श्रीराम को देखते ही उनसे लिपट जाते हैं। राम-भरत मिलाप के इस मार्मिक दृश्य को देखकर सभी की आंखें भर आती हैं। भरत सहित माताएं, गुरुदेव सभी भगवान राम को मनाने की कोशिश करते हैं। अंत में भगवान राम गुरुदेव से उपाय पूछते हैं।


वशिष्ठ कहते हैं कि आप अपनी चरणपादुका भरत को सौंप दें। जिन्हें राजगद्दी पर रखकर भरत लाल राज करेंगे। भरतजी श्रीराम की चरणपादुका माथे पर लगाते हैं इस बीच पार्श्व में शीश पर खड़ाऊं आंखों में पानी, रामभक्त ले चला रहे राम की निशानी...गीत बजता है सभी भावविभोर हो जाते हैं।

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