जौनपुर। शिक्षक दिवस व शिक्षक पीड़ा , प्रबंधक की तानाशाही- आशुतोष त्रिपाठी
जौनपुर। शिक्षक दिवस शिक्षकों के सम्मान का वह दिन है। जिस दिन शिक्षक अपने को गौरवान्वित राष्ट्र निर्माता एवं जन जन का प्रेरणा स्रोत मानता है। वर्तमान समय में प्राइवेट सेक्टर में कार्यांवित शिक्षक की एक दुर्दशा पर अपना विचार व्यक्त करते हुए भौतिकी प्रवक्ता आशुतोष त्रिपाठी ने कहा कि आज हम प्राथमिक शिक्षा से लेकर के उच्च शिक्षा की बात करते एक तरफ सामान अच्छा समान जन अधिकार समान वेतन शिक्षा की बात करते हैं। वर्तमान जन क्रांति सरकार की विभेदीकरण दुर्व्यवहार प्रबंध कमेटी का निरंकुश शासन सरकार के आक्रामक करवाइए जो शिक्षा एवं शिक्षक को उदासीनता की तरफ लेकर जाता है जोश जुनून से भरपूर शिक्षकों के द्वारा शिक्षण पद्धति को कैसे रोचक बनाया जाए इस पर विचार किया जाता है। लेकिन प्राइवेट सेक्टर की शिक्षण विद्यालय एवं महाविद्यालय जो दो कमरे से अपने विद्यालय की आधारशिला रखते हैं। जब वह कई मंजिलों में तब्दील होती है, जो एक शिक्षक के श्रम परिश्रम खून पसीने समयबद्धता कुशल नेतृत्व कर्मठता का परिणाम होता है। लेकिन वर्तमान समय में एक शिक्षक जब अपनी प्रबंध कमेटी के सामने अपनी बात को रखता है अपनी परेशानियां एवं वर्तमान महंगाई के दौर में अपने वेतन पर विचार करता है तो न तो वेतन वृद्धि समय-समय पर होती है नहीं महंगाई का ख्याल रखा जाता है जब एक निरंकुश प्रबंध कमेटी के सामने वह अपना बेतन मांगने जाता है तो अपने आप को देश का सबसे वंचित निरीह दबा कुचला हुआ देश का वंचित नागरिक उदास एवं अपने आप को ही अपराधी समझता है उसे लगता है कि नागफनी के बाजार में जिस फूल की खेती कर है क्या मेरा इसमें भविष्य है अत प्रबंध कमेटी एवं प्राचार्य उक्त प्रकरण पर विचार करें। ताकि हर एक शिक्षक साथ-साथ मुस्कुराए एक दूसरे के चेहरे पर मुस्कुराहट लाए तभी एक शिक्षक दिवस अंधेरे में ज्योति का काम करेगी जिससे महाविद्यालय का नाम रोशन होगा।
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