उतरौला(बलरामपुर)
आधुनिक युग में भी लोग अपनी जान जोखिम में डालकर आदीकाल के नाव से नदी पार करने पर मजबूर हैं। जहां एक तरफ केंद्र व प्रदेश की सरकार तटवर्ती सभी गांव में बिजली, पानी, सड़क पुल आदि बुनियादी सुविधाओं से लैस करने का दावा कर रही है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयान कर रहा है।
आजादी के पचहत्तर साल बाद भी क्षेत्र के राप्ती नदी तट पर बसा ग्रामसभा नंदौरी का मजरा भरवलिया आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। जहां एक तरफ केंद्र व राज्य सरकार सभी तटवर्ती गांव को पुल से जोड़ने एवं सुविधाओं से लैस करने की कवायद में प्रयासरत है। वहीं आज भी विकास खण्ड गैडांस बुजुर्ग के ग्राम नंदौरी के मजरा भरवलिया में लोगों को आवागमन के लिए राप्ती नदी पर एक अदद पक्का पुल या पीपा पुल तक नसीब नहीं हुआ। मजरे की आबादी लगभग ढाई हजार के आसपास बताई जाती है। इस ढाई हजार आबादी वाले गांव में आज भी लोग नाव से नदी पार करते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि नदी पर पुल बनवाने के लिए कई बार प्रयास किया गया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। ग्राम सभा नंदौरी और इसके ही मजरे भरवलिया के बीच में राप्ती नदी होने के कारण यह मजरा अपने ग्राम पंचायत से ही अलग मालूम होता है। 
ग्रामवासी अमानतुल्लाह खान का कहना है कि ने पिछले कई दशकों से जनप्रतिनिधियों से इस नदी पर पुल बनाने की मांग करते आ रहे हैं लेकिन किसी जनप्रतिनिधि ने यहां पर पुल बनाने में कोई रूचि नहीं दिखाई और ना ही शासन के द्वारा किसी अस्थाई पीपा पुल या नांव की व्यवस्था किया गया । ग्राम वासियों ने अपने ही बलबूते दो नाव चलाते हैं जो एकमात्र इनके नदी पार करने का साधन है । 
शबउर्रहमान कहते हैं कि नांव हट जाने या बाढ़ आ जाने पर ग्राम वासियों को अपने ब्लॉक मुख्यालय तक पहुंचने में तीस किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ता है। गांव में किसी के बीमार होने या गर्भवती महिला के प्रसव का मामला होने पर समस्या और बढ़ जाती है। जबकि ब्लॉक मुख्यालय व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की दूरी गांव से मात्र दस किलोमीटर है। राप्ती नदी पर पुल ना होने के कारण लोग समय से अस्पताल, तहसील, कचहरी, ब्लॉक तक नहीं पहुंच पाते हैं। उपचार अथवा प्रसव हेतु समय से अस्पताल ना पहुंचने पर तमाम ग्रामवासी असमय काल के गाल में समा चुके हैं। 
सद्दाम खान कहते हैं कि गांव में प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक स्कूल है।छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई मिडिल क्लास तक करने के बाद आगे की पढ़ाई भी पुल ना होने के कारण पूरी नहीं कर पाते हैं। 
सलीमुल्ला खान कहते हैं कि शाम होते ही नाव का संचालन बंद हो जाता है। गांव या घरों में शादी विवाह या अन्य समारोह में आने वाले मेहमानों को शाम होते ही नांव का संचालन बंद होने से पहले विदा करना पड़ता है। रात में किसी के बीमार होने पर अस्पताल ले जाने में नाकों चने चबाना पड़ता है।
ग्रामवासी सुखराम, सुरेश, शफी अहमद, जलाल, राम नौकर, अहमद ,जमाल इजहारूउल, हलीम, सलीम, खलीकुल रहमान, मुकीम, कलीमुल्ला आदि ने जिम्मेदार अधिकारियों से गांव में राप्ती नदी पर पक्का या अस्थाई पीपा पुल बनाने की मांग की है।

क्षेत्रीय विधायक भाजपा राम प्रताप वर्मा ने बताया कि नदी पर पुल बनवाने के लिए गंभीरता से प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रिय सरकार सभी ऐसे गांव को पुल से जोड़ने का काम कर रही है। भरवलिया गांव के राप्ती नदी पर पुल बनाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया है।
असग़र अली
उतरौला

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