मथुरा।।ब्रज के साधकों ने साँझी को जिया। इस परम्परा को केन्द्र में रख रचा गया अपार साहित्य साँझी के महत्त्व को दर्शाता है। यह बात राधाबल्लभ सम्प्रदायाचार्य गो. श्रीहित राधेशलाल जी ने बुधवार को वीआरआई द्वारा मदन टेर परिक्रमा मार्ग पर आयोजित साँझी संवाद कार्यक्रम के अन्तर्गत साँझी प्रदर्शनी के अवसर पर कही। उन्होंने कहा संस्थान द्वारा इस दस दिवसीय आयोजन के माध्यम से समग्र साँझी परम्परा का सुन्दर प्रस्तुतिकरण किया गया है। हित आनन्दलाल गोस्वामी ने कहा वृन्दावन शोध संस्थान के इस दस दिवसीय साँझी महोत्सव से केवल संस्कृति प्रेमी स्थानीय जन ही नहीं, सुदूर क्षेत्रों से यहाँ आने वाले तीर्थयात्री भी लाभान्वित हो रहे हैं। हित विशाललाल गोस्वामी एवं हित गौरवलाल गोस्वामी ने कहा वर्तमान समय में परम्पराओं का संरक्षण और नई पीढ़ी से उनका जुड़ाव बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा सांझी ब्रज की प्राचीन परंपरा है। हमें इसके संरक्षण और संवर्द्धन की दिशा में प्रयत्नशील रहना चाहिए। संस्थान के निदेशक डाॅ॰ अजय कुमार पाण्डेय ने बताया संस्थान द्वारा आयोजित सांझी महोत्सव के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यशाला, प्रदर्शनी तथा विषय सम्मत परिचर्चा आदि कार्यक्रमों के माध्यम से हमारा प्रयास है कि इस परंपरा से जुड़े मूल्यवान संदर्भ आमजन के मध्य साझा हों। कार्यक्रम का संयोजन डाॅ॰ राजेश शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर अशोक जोशी, गोपाल प्रसाद, माधव प्रेमदास, हरिपूजन, आशीष, हरिओम, उमाशंकर पुरोहित, कृष्ण कुमार मिश्रा एवं अंकुर सिंह आदि अनेक जन उपस्थित रहे।

- प्रदर्शनी से लाभान्वित जनमानस
वीआरआई द्वारा सांझी-संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत परिक्रमा मार्ग स्थित मदन टेर पर लगाई गई प्रदर्शनी को देख जनमानस उत्साहित दिखा। स्थानीयजन ही नहीं, बाहर से आने वाले यात्रियों ने भी प्रदर्शनी के माध्यम से ब्रज की सांझी परंपरा के विभिन्न पक्षों को जाना। प्रदर्शनी के अंतर्गत सचित्र रूप में दर्शाये गये सांझी के रचनाकार, मंदिर तथा लोक जगत में बनाये जाने वाली गोबर सांझी की विविधताओं, सांझी संबंधी पांडुलिपियों के चित्र तथा इसी क्रम में सांझी परंपरा से जुड़ी अन्य विविधताओं को देख लोग आनंदित थे।

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