हिंदीसंवाद ब्यूरो चीफ प्रीतम शुक्ला की रिपोर्ट
*रेल पटरी पर इंसान और जानवर को देखते ही रुक जाएगी ट्रेन, आगरा रेल डिवीजन ने बनाया एप*
भारतीय रेल दुनिया की मॉर्डन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने में हमेशा आगे रहती है. इसी कड़ी में अब आगरा रेल मंडल ने एक ऐसा एप तैयार किया है, जिससे लोकोपायलट को रेल पटरी पर जानवर व किसी व्यक्ति के आने की जानकारी काफी पहले मिल जाएगी. इससे ट्रेन को समय पर रोका जा सकेगा.
*आगरा:* भारतीय रेल को देश की लाइफ लाइन है. रेल के जरिए लोगों का आवागमन आसान होता है बल्कि वस्तुओं का परिवहन भी सुगम हो जाता है. रेल का जैसे-जैसे विस्तार हो रहा है, रेल हादसे भी एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आए हैं. अब तो हमारे पास वंदे भारत और गतिमान जैसी सेमी हाई स्पीड ट्रेन हैं. आने वाले समय में बुलेट जैसी हाई स्पीड ट्रेन भी देश की पटरियों पर दौड़ती दिखाई देंगी. यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेल मंत्रालय ने कवच नाम से एक आधुनिक तकनीक इजाद की है, जिसके माध्यम से रेल हादसों को रोका जा सकेगा. आगरा रेल डिवीजन द्वारा एक ऐसा ऐप तैयार किया गया है जिसके माध्यम से लोको पायलट को रेलवे ट्रैक पर किसी व्यक्ति या जानवर के होने की जानकारी समय रहते मिल जाएगी. इससे ट्रेन को समय पर रोकने में मदद मिलेगी.
*रफ्तार के साथ जरूरी है सुरक्षा*
नई दिल्ली-आगरा-झांसी-भोपाल रूट देश के व्यस्ततम रेल रूटो में से एक है. इसलिए इस मार्ग के ट्रैक की सुरक्षा भी महत्वपूर्ण हो जाती है. आगरा रेल डिवीजन की जनसंपर्क अधिकारी प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि ट्रेनों की भर्ती स्पीड के साथ-साथ ट्रैक की सुरक्षा भी बहुत महत्वपूर्ण है. रेलवे इसके लिए दृढ़ संकल्पित है. देश का अधिकतर रेलवे ट्रैक खुला हुआ है. उन पर किसी भी तरीके की बैरिकेडिंग नहीं है जिससे हादसे का डर लगा रहता है. ऐसे में सेमी हाई स्पीड ट्रेनों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा होना लाजमी है.
आरएफएआई तकनीक है कारगर
आगरा रेल मंडल पहले ही ट्रेनों को ट्रेन कोलिजन सुरक्षा प्रणाली से लैस कर रहा है. रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेटिफिकेशन (आरएफएआई) डिवाइस से युक्त ट्रेनें हादसों को कम करने में मददगार होंगी. यह तकनीक यात्री रेल और मालगाड़ी ट्रेन दोनों में कारगर साबित हो रही है.
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